पार्थिव चुंबकत्व(Terrestrial Magnetism):-
पृथ्वी एक चुंबक की तरह व्यवहार करती है| पृथ्वी के चुंबकत्व को ही पार्थिव चुंबकत्व कहते है|
16वीं सदी में इंग्लैंड के प्रसिद्ध विज्ञानिक 'गिल्बर्ट' ने मैग्नेटाइट या चुंबक पत्थर को एक गोले की आकृति में काटा था उन्होंने पाया कि ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतंत्र चुंबकीय सुई इस गोले के भिन्न-भिन्न भागों पर ठीक उसी तरह व्यवहार करती है जैसा कि पृथ्वी के भिन्न-भिन्न स्थानों पर होता है इस बात से सिद्ध हुआ कि पृथ्वी एक चुंबक की भांति कार्य करती है|
पार्थिव चुंबक की पुष्टि करने हेतु प्रमाण:-
छैतिज तल में घूमने के लिए स्वतंत्र चुंबक सदैव उत्तर दक्षिण दिशा में रहता है यह तभी संभव है जब कि पृथ्वी चुंबक की भांति कार्य करें चुंबकीय बल रेखाएं खींचते समय उदासीन बिंदु प्राप्त होते हैं, उदासीन बिंदु पर परिणामी तीव्रता शून्य होती है| इस बिंदु पर चुम्बक के चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता अन्य चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता से संतुलित हो जाती है| चुम्बक के पास अन्य चुंबक नहीं है और संतुलित करने वाला चुंबकीय क्षेत्र प्रथ्वी का ही चुंबकीय क्षेत्र होना चाहिए| लोहे की एक छड़ को उत्तर दक्षिण दिशा में गार्ड देने पर वह कुछ समय पश्चात चमक बन जाती है यह तभी संभव है, जब प्रथ्वी चुम्बक की भांति कार्य करें|
पृथ्वी एक चुंबक की तरह व्यवहार करती है| पृथ्वी के चुंबकत्व को ही पार्थिव चुंबकत्व कहते है|
16वीं सदी में इंग्लैंड के प्रसिद्ध विज्ञानिक 'गिल्बर्ट' ने मैग्नेटाइट या चुंबक पत्थर को एक गोले की आकृति में काटा था उन्होंने पाया कि ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतंत्र चुंबकीय सुई इस गोले के भिन्न-भिन्न भागों पर ठीक उसी तरह व्यवहार करती है जैसा कि पृथ्वी के भिन्न-भिन्न स्थानों पर होता है इस बात से सिद्ध हुआ कि पृथ्वी एक चुंबक की भांति कार्य करती है|
पार्थिव चुंबक की पुष्टि करने हेतु प्रमाण:-
छैतिज तल में घूमने के लिए स्वतंत्र चुंबक सदैव उत्तर दक्षिण दिशा में रहता है यह तभी संभव है जब कि पृथ्वी चुंबक की भांति कार्य करें चुंबकीय बल रेखाएं खींचते समय उदासीन बिंदु प्राप्त होते हैं, उदासीन बिंदु पर परिणामी तीव्रता शून्य होती है| इस बिंदु पर चुम्बक के चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता अन्य चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता से संतुलित हो जाती है| चुम्बक के पास अन्य चुंबक नहीं है और संतुलित करने वाला चुंबकीय क्षेत्र प्रथ्वी का ही चुंबकीय क्षेत्र होना चाहिए| लोहे की एक छड़ को उत्तर दक्षिण दिशा में गार्ड देने पर वह कुछ समय पश्चात चमक बन जाती है यह तभी संभव है, जब प्रथ्वी चुम्बक की भांति कार्य करें|
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