Tuesday, 12 July 2016

निबंध राष्ट्र निर्माण देश की प्रगति में छात्रों का योगदान

     "राष्ट्र निर्माण देश की प्रगति में छात्रों का योगदान"

      "चाहे जो हो धर्म तुम्हारा,
                    चाहे जो वादी हो|
       नहीं जी रहे अगर देश हित,
                    तो निश्चय ही अपराधी हो|"

1.प्रस्तावना:-
               राष्ट्र का वास्तविक अर्थ उस देश की भूमि नहीं वरन देश की भूमि में रहने वाली जनता है, जनता की सुख-समृद्धि ही राष्ट्र की सच्ची प्रगति है| आज के विद्यार्थी कल देश के नागरिक होंगे, छात्र जीवन में ही उनके मन में राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना यदि भर जाए तो वे राष्ट्र की उन्नति में सहायक होंगे जिस मातृभूमि की गोद में हमने जन्म लिया है| जिस की धरती से हमारा पालन पोषण हुआ है, उस देश की सेवा प्रगति में कुछ विशिष्ट लोगों का साथ हो यह ठीक नहीं बल्कि आज के छात्रों को भी इस प्रगति में पूर्ण सहयोग देना चाहिए| छात्रों को ना केवल अपने अधिकारों के बारे में सचेत रहना चाहिए, बल्कि उन्हें अपने कर्तव्य के प्रति भी उतनी ही निष्ठा रखनी चाहिए,जितनी कि वह अपने उचित काम के प्रति रखते रखते हैं|

2.छात्र देश का अविभाज्य अंग:-
                                      छात्र देश के कर्णधार हैं, समाज व्यक्ति से ही बनता है| वह बहुत सी इकाइयों का समूह है और छात्र देश के अविभाज्य अंग है, छात्रों का प्रत्येक निष्ठापूर्वक किया हुआ कार्य देश को, देश के चरित्र को, देश के मान-सम्मान और गौरव को बनाता है| और इनके ही कृतियों द्वारा देश बदनाम होता है| उसकी अवनति होती है, छात्रों की प्रत्येक गतिविधि की परछाईं देश के चरित्र में स्पष्ट झलकती है| हमारी प्रगति ही देश की प्रगति है, इस बात को भली प्रकार से समझ लेना ही उचित होगा|

3.छात्र देश के भावी कर्णधार:-
                                      छात्रों का स्वध्याय चिंतन, मनन, उनके शिष्ट व्यवहार, मधुर सम्मान यह सब देश की प्रगति का सूचक ही है| छात्र और जनता अच्छी होगी तो देश अच्छा कहलाएगा| यदि छात्र अनुशासित होंगे तो देश अनुशासित कहलाएगा ईमानदारी, सच्चाई और दूसरों के क्रियाकलाप में अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं करना ही एक प्रगतिशील राष्ट्र की निशानी है| छात्र शांत, चित्त और अन्य श्रद्धा से शिक्षा ग्रहण करें, यही देश की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान है| क्योंकि यह ही देश के भावी कर्णधार हैं और देश को महान बनाने के कर्म में लगे हुए हैं|
शिक्षण और स्वध्याय से जो समय बचे उसमें छात्रों को अपने सच्चे समय का सदुपयोग करना चाहिए|

4.देश के प्रति छात्रों का कर्तव्य छात्र:-
                                             प्रौढ़ शिक्षा एवं साक्षरता आंदोलन में भाग लेकर अशिक्षित को शिक्षित बनाने का काम कर सकते हैं| सार्वजनिक रूप से व्याख्यान मालाओं का आयोजन कर देश के चरित्र को ऊंचा उठाने में नैतिक मूल्यों की मान्यता की, धर्मनिरपेक्षता की, शिक्षा का प्रचार कर एकता का प्रयास कर सकते हैं| अकाल ग्रस्त या भूकंप पीड़ित, ओलावृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों के लिए टोलियां बना कर धन सामग्री एकत्रित कर उनकी सहायता कर सकते हैं|
बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में जाकर डूबने वाले व्यक्तियों को बचाया जा सकते हैं| स्वयं सेवी संस्थाओं का निर्माण भी कर सकते हैं| जो देवी विपत्ति के समय हरदम मदद को तैयार रहें, अवकाश के समय गांव में जाकर श्रमदान द्वारा सड़क निर्माण, कुओं की सफाई, परिसर की स्वच्छता के लिए प्रयास कर सकते हैं| कृषि की उन्नति में नवीन विज्ञानिक साधनों की, उन्नत बीजों की, खाद, दवा की जानकारी दे सकते हैं| इसके अतिरिक्त छात्रों का देश की प्रगति में जो योगदान है, उस में महत्वपूर्ण भूमिका यह है| कि वह देश की संपत्ति का विनाश ना करें देश के अराजक तत्वों छात्रों के माध्यम से देश में महाविद्यालय में स्थान स्थान पर तोड़फोड़ करवा कर अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं, इससे छात्रों को दूर रहना चाहिए|

5. एक निष्ठ भाव से अध्ययन:-
                                    देश की प्रगति में छात्रों के योगदान का आशा है, की निष्ठा भाव से अध्ययन करना | क्योंकि विद्या प्राप्ति के लिए एक अवस्था और एक समय निश्चित है| यदि इस अवस्था में एक निष्ठा का अभाव रहा तो भावी जीवन के उद्देश्यों की पूर्ति संभव नहीं है, जीवन की नींव ही यदि कमजोर हुई तो उस पर जो घर खड़ा होगा, वह स्थाई नहीं रह पाएगा वह केवल लड़खड़ाते हुए अपनी जिंदगी काटेगा| यदि छात्र संपूर्ण तन्मयता से एक श्रेष्ठ सुसंस्कृत सभ्य नागरिक बनने की तैयारी करें रहे हैं, तो यही देश सेवा है| छात्र चाहे तो कुशल, व्यवसाई, विद्वान, वक्ता, सफल, प्रसिद्ध, निपुण कलाकार कुछ भी बन सकता है और यही आज का छात्र कल का सभ्य नागरिक बन कर देश की प्रगति में सहायक होगा|

6.उपसन्हार:-
                छात्रों का देश की प्रगति में जो योगदान है| उसमें महत्वपूर्ण यह है, कि वह देश की संपत्ति का विनाश ना करें| देश के अराजक तत्वों छात्रों के माध्यम से देश में महाविद्यालयों में स्थान स्थान पर तोड़फोड़ करवाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं| ऐसे छात्रों को दूर रहना चाहिए| छात्र जीवन विद्यार्थी की वह अवस्था होती है जिसमे मनुष्य अटूट शक्ति संपन्न होता है, उनमें कार्य संपादन की अभूतपूर्व क्षमता होती है| मन मस्तिष्क तेज होते हैं, यदि उन्हें सही दिशा में ले और उनकी शक्ति का उचित मार्ग यांत्रिकरण हो तो वह देश की प्रगति में अत्यंत लाभप्रद सिद्ध साबित होंगे| भारतीय छात्र पूर्ण शक्ति और सामर्थ्य से देश को आगे बढ़ाएं ताकि देश उन्नति कर सके|

             "जय हिंद जय जवान जय किसान"
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27 comments:

  1. There are many mistakes in this essay

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  2. Nice essay full of thoughts


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  3. Nice essay full of thoughts


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  4. Nice essay full of knowledge

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  5. I really love this
    It helped me in my homework

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  6. Kya chatra aur vidhyarthi ka meaning ek hota h

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  7. not that much appropriate.......

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  8. Very nice loved it thank you so much

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  9. Thank you for this nice essay

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