भ्रष्टाचार का निबंध
"भ्रष्टाचार आज के समाज का एक प्रमुख रोग है, आज इस रोग से लगभग पूरी दुनिया त्रस्त है, भारत भी इस रोग से अछूता नहीं है"
1.प्रस्तावना:-
भ्रष्टाचार दो शब्दों से मिलकर बना है, भ्रष्ट+आचारण़
भ्रष्ट का अर्थ है- 'बिगड़ा हुआ' और आचरण का अर्थ है- 'व्यर्थ और आचरण,' आचरण की संहिता सभी धर्मों में स्वीकार की गई है, हमारी भारतीय संस्कृति में आचरण को अत्यधिक माना गया है, वेदों, उपनिषद, गीता, और रामायण की बात छोड़ दी जाए, तो भी कबीर जैसे बिना पढ़े लिखे संत ने भी आचरण पर काफी बल दिया-
"ऊंचे कुल क्या जननियाँ, जो करणी ऊंची ना होई| सोवन कलस सुरै भरया, साधुँ विद्या सोई||"
ईशा ने कहा:-
सुई के छेद से ऊंट पार हो सकता है, लेकिन धनवान स्वर्ग नहीं जा सकता, इसका आशय यह है कि आचरण विहीन व्यक्ति स्वर्ग का अधिकारी नहीं है|
इस्लाम कहता है:-
मुस्लिम है जिसका आचरण वही है मुसलमान, इस तरह आचरण की महत्ता तो सभी ने स्वीकार की लेकिन राष्ट्र की महत्ता को किसी ने स्वीकार नहीं किया है, जो आचरण बिगड़ा हुआ हो, नीति, न्याय, धर्म और सामाजिक, नैतिक मूल्यों के विपरीत हो, शासकीय नियमों के विरुद्ध हो उसी के भ्रष्टाचार कहा जाएगा| इस तरह भ्रष्टाचार भस्मासुर की तरह है जो जीवन के हर पहलू को छू रहा है, आज हमारे देश का सारा जीवन आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक भ्रष्टाचार का पर्याय बन गया है, आज राजनीति में तो संत्री, मंत्री यहां तक की प्रधानमंत्री भी भ्रष्टाचार के दलदल में फंस चुके हैं, सारे कार्यालय, चपरासी से लेकर पदाधिकारी इस दल दल में डूब ही चुके हैं, जिस तरह देश में गरीबी और महंगाई रग-रग में समाई हुई है, उसी तरह भ्रष्टाचार भी रग-रग में समाया हुआ है|
2.भ्रष्टाचार का आरंभ:-
भ्रष्टाचार का आरंभ कब और कैसे हुआ? यह बता पाना कठिन है, परंतु भारत में इस रोग को अंग्रेजो ने सर सीमा तक पहुंचा दिया, भारत में अंग्रेजी राज स्थापित करने वाला 'क्लाइव' जब यहां आया तो बहुत साधारण व्यक्ति था| परंतु जब वह लौटकर इंग्लैंड गया, तो करोड़ों रुपए की पूंजी उसके पास थी, इंग्लैंड में किसी युवक की भारत में नियुक्ति सौभाग्य की बात समझी जाती थी और ऐसी नौकरी पाने के लिए लोग बड़ी-बड़ी रिश्वत देते थे, इसका नतीजा यह हुआ कि अंग्रेजों के जाने के बाद भी भ्रष्टाचार समाप्त नहीं हुआ|
3.भ्रष्टाचार के रूप:-
जिस तरह माया के अनेक रुप है, उसी प्रकार भ्रष्टाचार के भी अनेक रूप है, आज यह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में व्याप्त है|
जैसे कि राजनीति में घोटाले के रूप में
रिश्वत के रूप में
हर जगह चंदा लेने के रूप में
हर बक्त स्वार्थ के रूप में
अधिक लाभ कमाने के चक्कर में नकली माल बेचना
मिलावट करना और ,
चुनाव में जीतना एवं कुुर्सी हथियाना मनचाहा फैसला करना अधिकारियों का यह सभी भ्रष्टाचार की प्रीति में आते हैं,
"इसलिए कह सकते हैं कि भ्रष्टाचार में क्या-क्या होता है यह खास बात नहीं है क्या नहीं होता है यह ही खास है|"
भ्रष्टाचार के कारण हमारे देश की परंपरा है, कि हम अपने पतन की जिम्मेदारी अपने ऊपर नहीं लेते इसी प्रकार भ्रष्टाचार के कारण के पीछे हम गुलामी को मानते हैं भ्रष्टाचार के कई कारण हैं जो इस प्रकार है|
1.भ्रष्टाचार का ,मुख्य कारण है असंतोष जब किसी को कुछ अभाव होता है तो वह उसकी पूर्ति के लिए भ्रष्टाचार करता है|
2.विलासी जीवन बिताने की इच्छा के कारण भी भ्रष्टाचार पनप रहा है| सम्मान, पद, प्रतिष्ठा प्राप्त करने के कारण भी भ्रष्टाचार शिखर पर पहुंच रहा है|
3.अन्याय और निष्पक्षता के अभाव में भ्रष्टाचार का जन्म होता है|
4.सब कुछ अपने घर में भर लेने की इच्छा के कारण ही भ्रष्टाचार पनप रहा है|
"भ्रष्टाचार संपन्न लोगों में निर्धनों की तुलना में अधिक व्याप्त है|"
4.भ्रष्टाचार से हानि:-
भ्रष्टाचार से कई हानियां होती है, जो कि इस प्रकार हैं|
1.भ्रष्टाचार विकास व सुशासन का शत्रु है, जो की भ्रष्टाचार गरीबों के हक को छीनता है|
2.भ्रष्टाचार से लोगों के मन में निराशा जन्म लेती है, जिससे उनके कम करने की उर्जा खत्म होती है|
3.भ्रष्टाचार के कारण लोग नए कार्य हाथ में लेने से डरते हैं|
4.नवाचार के मार्ग में बाधा आती है, भ्रष्टाचार के कारण देश की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है, जिससे आतंकवाद की स्थिति निर्मित होती है|
5.भ्रष्टाचार के प्रभाव का परिणाम:-
किसी भी देश की समृद्धि शांति, ज्ञान, संहिता की उपयोगिता दो बातों पर निर्भर करती है- 'उत्तम साधन' और 'उत्तम चरित्र' जिन देशों के पास राष्ट्रीय चरीत्र है, वह स्वतंत्र देश हैं, हमारी सरकार इतनी योजनायें चलाती है, फिर भी हम गरीब है, क्यो?
इसका कारण है- भ्रष्टाचार मे आज ही देखा जाये तो, हमारे प्रधानमंत्री 'नरेंद्र मोदी' जी के राज्य में बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है, कि जब सरकार ₹1 एक गरीब के विकास के हित में भेजती है, तो मात्र 7 पैसे का उपयोग ही उसके हित के लिए हो पाता है, शेष धन भ्रष्टाचार चाट जाता है, यह है भ्रष्टाचार की नीति आज के समय में गरीब गरीब होता जा रहा है, और अमीर अमीर होता जा रहा है, जिसमे कोई संदेह नही है,
अगर एक मंत्री उपर वेठा गरीबों के हित के लिये काम कर रहा है तो इसका क्या फायेदा, उनके निचे तो सभी नेता, कर्मचारी भ्रस्ट से भरे हुये है, जो पहले ये सोचते है, कि इस योजना के तहत हमे कितना कमीशन वचाना है, हमे कितना profit होने वाला हैं, सोचो जहा ऐंसे नेता हो वहां कुछ न्या होगा, ऐंसी उम्मीद रखने की कोई गुनजाइस ही नही हैं|
6.भ्रष्टाचार से निपटने का रास्ता:-
भारत की राजनीति में भ्रष्टाचार फिर एक बड़ा मुद्दा बन गया है, लेकिन हैरत की बात यह है, कि किसी के पास उसका कोई ठोस इलाज नहीं दिख रहा है, भ्रष्टाचार से निपटने का सबसे पहला रास्ता यह होना चाहिए, कि हमारी शासन व्यवस्था के चार स्तंभों का वित्तीय एवं नियमित रूप से देश के सामने पेश किया जाए और यह सिस्टम है- 'विधानसभा, कार्यपालिका, न्यायपालिका और व्यवस्थापिका'; यह चारों स्तंभ अत्यंत शक्तिशाली है, इसलिए कह सकते हैं कि-
"जहां सकती है, वहां भ्रष्टाचार है"
इन सब सदस्यों की चल-अचल संपत्तियों का ब्योरा चुनाव के वक्त ही नहीं हर वर्ष सार्वजनिक किया जाना चाहिए|
"भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार बन गया है,मेरा भारत महान 100 में से 99 बेईमान -भ्रष्टाचार भारत वासियों के खून में आ गया है|"
7.उपचार:-
यदि हम चाहे की सरकार भ्रष्टाचार को दूर करे तो बात 7 साल तो क्या 7 जन्मों में भी नहीं कर सकती इस समस्या का वास्तविक उपचार आत्मचिंतन है, हम जब तक अपने कर्तव्य और दायित्व को नहीं समझते तव तक हर समस्या का कोई हल नहीं निकल सकता, नारे लगाना या भारत माता की जय बोलने से देश प्रेम प्रकट नहीं होता, यदि हम सच्चे देश प्रेमी है, देश से भ्रष्टाचार की जड़ उखाड़ना चाहते हैं, तो इसके लिए आवश्यक है कि कड़े कानून बनाए जाएं, दोषियों को कड़ी सजा दी जाए, नागरिक अपना कर्तव्य सही समय पर कर चुका है, समाज में ईमानदार और कर्तव्य परायण सेवकों को पुरस्कृत किया जाए, पर्याप्त रोजगार के अवसर गरीबों और युवाओं को प्रदान किए जाए|
8.उपसंहार:-
"भारतीय गणतंत्र घोटालों का गणतंत्र बन गया है, भ्रष्टाचार की गंगा ऊपर से नीचे की ओर बह रही है|"
भ्रष्टाचार हमारे देश की स्वतंत्रता-रुपी सीता का रावण बनकर हरण कर रहा है, जब तक शक्ति सील पराक्रम से युवा सदाचारी राम नहीं बन पनपेंगे, तब तक इसका विनाश संभव नहीं है|
यदि हम अपने इस महान राष्ट्र की प्रगति चाहते हैं, तो जीवन से भ्रष्टाचार समाप्त करना होगा| हमें दृढ़तापूर्वक भ्रष्टाचार निवारण करना होगा, सरकार को भ्रष्टाचारियों को कठोर दंड देना चाहिए, जनता को ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार करना चाहिए, तभी हमारी भारत मां का सपना साकार हो सकेगा और हम कह सकेंगें-
"भारत मां का एक एक सपना,
करना है साकार|
दिशा-दिशा में गूंज उठी,
भारत मां की जय जय कार||"
"भ्रष्टाचार आज के समाज का एक प्रमुख रोग है, आज इस रोग से लगभग पूरी दुनिया त्रस्त है, भारत भी इस रोग से अछूता नहीं है"
1.प्रस्तावना:-
भ्रष्टाचार दो शब्दों से मिलकर बना है, भ्रष्ट+आचारण़
भ्रष्ट का अर्थ है- 'बिगड़ा हुआ' और आचरण का अर्थ है- 'व्यर्थ और आचरण,' आचरण की संहिता सभी धर्मों में स्वीकार की गई है, हमारी भारतीय संस्कृति में आचरण को अत्यधिक माना गया है, वेदों, उपनिषद, गीता, और रामायण की बात छोड़ दी जाए, तो भी कबीर जैसे बिना पढ़े लिखे संत ने भी आचरण पर काफी बल दिया-
"ऊंचे कुल क्या जननियाँ, जो करणी ऊंची ना होई| सोवन कलस सुरै भरया, साधुँ विद्या सोई||"
ईशा ने कहा:-
सुई के छेद से ऊंट पार हो सकता है, लेकिन धनवान स्वर्ग नहीं जा सकता, इसका आशय यह है कि आचरण विहीन व्यक्ति स्वर्ग का अधिकारी नहीं है|
इस्लाम कहता है:-
मुस्लिम है जिसका आचरण वही है मुसलमान, इस तरह आचरण की महत्ता तो सभी ने स्वीकार की लेकिन राष्ट्र की महत्ता को किसी ने स्वीकार नहीं किया है, जो आचरण बिगड़ा हुआ हो, नीति, न्याय, धर्म और सामाजिक, नैतिक मूल्यों के विपरीत हो, शासकीय नियमों के विरुद्ध हो उसी के भ्रष्टाचार कहा जाएगा| इस तरह भ्रष्टाचार भस्मासुर की तरह है जो जीवन के हर पहलू को छू रहा है, आज हमारे देश का सारा जीवन आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक भ्रष्टाचार का पर्याय बन गया है, आज राजनीति में तो संत्री, मंत्री यहां तक की प्रधानमंत्री भी भ्रष्टाचार के दलदल में फंस चुके हैं, सारे कार्यालय, चपरासी से लेकर पदाधिकारी इस दल दल में डूब ही चुके हैं, जिस तरह देश में गरीबी और महंगाई रग-रग में समाई हुई है, उसी तरह भ्रष्टाचार भी रग-रग में समाया हुआ है|
2.भ्रष्टाचार का आरंभ:-
भ्रष्टाचार का आरंभ कब और कैसे हुआ? यह बता पाना कठिन है, परंतु भारत में इस रोग को अंग्रेजो ने सर सीमा तक पहुंचा दिया, भारत में अंग्रेजी राज स्थापित करने वाला 'क्लाइव' जब यहां आया तो बहुत साधारण व्यक्ति था| परंतु जब वह लौटकर इंग्लैंड गया, तो करोड़ों रुपए की पूंजी उसके पास थी, इंग्लैंड में किसी युवक की भारत में नियुक्ति सौभाग्य की बात समझी जाती थी और ऐसी नौकरी पाने के लिए लोग बड़ी-बड़ी रिश्वत देते थे, इसका नतीजा यह हुआ कि अंग्रेजों के जाने के बाद भी भ्रष्टाचार समाप्त नहीं हुआ|
3.भ्रष्टाचार के रूप:-
जिस तरह माया के अनेक रुप है, उसी प्रकार भ्रष्टाचार के भी अनेक रूप है, आज यह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में व्याप्त है|
जैसे कि राजनीति में घोटाले के रूप में
रिश्वत के रूप में
हर जगह चंदा लेने के रूप में
हर बक्त स्वार्थ के रूप में
अधिक लाभ कमाने के चक्कर में नकली माल बेचना
मिलावट करना और ,
चुनाव में जीतना एवं कुुर्सी हथियाना मनचाहा फैसला करना अधिकारियों का यह सभी भ्रष्टाचार की प्रीति में आते हैं,
"इसलिए कह सकते हैं कि भ्रष्टाचार में क्या-क्या होता है यह खास बात नहीं है क्या नहीं होता है यह ही खास है|"
भ्रष्टाचार के कारण हमारे देश की परंपरा है, कि हम अपने पतन की जिम्मेदारी अपने ऊपर नहीं लेते इसी प्रकार भ्रष्टाचार के कारण के पीछे हम गुलामी को मानते हैं भ्रष्टाचार के कई कारण हैं जो इस प्रकार है|
1.भ्रष्टाचार का ,मुख्य कारण है असंतोष जब किसी को कुछ अभाव होता है तो वह उसकी पूर्ति के लिए भ्रष्टाचार करता है|
2.विलासी जीवन बिताने की इच्छा के कारण भी भ्रष्टाचार पनप रहा है| सम्मान, पद, प्रतिष्ठा प्राप्त करने के कारण भी भ्रष्टाचार शिखर पर पहुंच रहा है|
3.अन्याय और निष्पक्षता के अभाव में भ्रष्टाचार का जन्म होता है|
4.सब कुछ अपने घर में भर लेने की इच्छा के कारण ही भ्रष्टाचार पनप रहा है|
"भ्रष्टाचार संपन्न लोगों में निर्धनों की तुलना में अधिक व्याप्त है|"
4.भ्रष्टाचार से हानि:-
भ्रष्टाचार से कई हानियां होती है, जो कि इस प्रकार हैं|
1.भ्रष्टाचार विकास व सुशासन का शत्रु है, जो की भ्रष्टाचार गरीबों के हक को छीनता है|
2.भ्रष्टाचार से लोगों के मन में निराशा जन्म लेती है, जिससे उनके कम करने की उर्जा खत्म होती है|
3.भ्रष्टाचार के कारण लोग नए कार्य हाथ में लेने से डरते हैं|
4.नवाचार के मार्ग में बाधा आती है, भ्रष्टाचार के कारण देश की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है, जिससे आतंकवाद की स्थिति निर्मित होती है|
5.भ्रष्टाचार के प्रभाव का परिणाम:-
किसी भी देश की समृद्धि शांति, ज्ञान, संहिता की उपयोगिता दो बातों पर निर्भर करती है- 'उत्तम साधन' और 'उत्तम चरित्र' जिन देशों के पास राष्ट्रीय चरीत्र है, वह स्वतंत्र देश हैं, हमारी सरकार इतनी योजनायें चलाती है, फिर भी हम गरीब है, क्यो?
इसका कारण है- भ्रष्टाचार मे आज ही देखा जाये तो, हमारे प्रधानमंत्री 'नरेंद्र मोदी' जी के राज्य में बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है, कि जब सरकार ₹1 एक गरीब के विकास के हित में भेजती है, तो मात्र 7 पैसे का उपयोग ही उसके हित के लिए हो पाता है, शेष धन भ्रष्टाचार चाट जाता है, यह है भ्रष्टाचार की नीति आज के समय में गरीब गरीब होता जा रहा है, और अमीर अमीर होता जा रहा है, जिसमे कोई संदेह नही है,
अगर एक मंत्री उपर वेठा गरीबों के हित के लिये काम कर रहा है तो इसका क्या फायेदा, उनके निचे तो सभी नेता, कर्मचारी भ्रस्ट से भरे हुये है, जो पहले ये सोचते है, कि इस योजना के तहत हमे कितना कमीशन वचाना है, हमे कितना profit होने वाला हैं, सोचो जहा ऐंसे नेता हो वहां कुछ न्या होगा, ऐंसी उम्मीद रखने की कोई गुनजाइस ही नही हैं|
6.भ्रष्टाचार से निपटने का रास्ता:-
भारत की राजनीति में भ्रष्टाचार फिर एक बड़ा मुद्दा बन गया है, लेकिन हैरत की बात यह है, कि किसी के पास उसका कोई ठोस इलाज नहीं दिख रहा है, भ्रष्टाचार से निपटने का सबसे पहला रास्ता यह होना चाहिए, कि हमारी शासन व्यवस्था के चार स्तंभों का वित्तीय एवं नियमित रूप से देश के सामने पेश किया जाए और यह सिस्टम है- 'विधानसभा, कार्यपालिका, न्यायपालिका और व्यवस्थापिका'; यह चारों स्तंभ अत्यंत शक्तिशाली है, इसलिए कह सकते हैं कि-
"जहां सकती है, वहां भ्रष्टाचार है"
इन सब सदस्यों की चल-अचल संपत्तियों का ब्योरा चुनाव के वक्त ही नहीं हर वर्ष सार्वजनिक किया जाना चाहिए|
"भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार बन गया है,मेरा भारत महान 100 में से 99 बेईमान -भ्रष्टाचार भारत वासियों के खून में आ गया है|"
7.उपचार:-
यदि हम चाहे की सरकार भ्रष्टाचार को दूर करे तो बात 7 साल तो क्या 7 जन्मों में भी नहीं कर सकती इस समस्या का वास्तविक उपचार आत्मचिंतन है, हम जब तक अपने कर्तव्य और दायित्व को नहीं समझते तव तक हर समस्या का कोई हल नहीं निकल सकता, नारे लगाना या भारत माता की जय बोलने से देश प्रेम प्रकट नहीं होता, यदि हम सच्चे देश प्रेमी है, देश से भ्रष्टाचार की जड़ उखाड़ना चाहते हैं, तो इसके लिए आवश्यक है कि कड़े कानून बनाए जाएं, दोषियों को कड़ी सजा दी जाए, नागरिक अपना कर्तव्य सही समय पर कर चुका है, समाज में ईमानदार और कर्तव्य परायण सेवकों को पुरस्कृत किया जाए, पर्याप्त रोजगार के अवसर गरीबों और युवाओं को प्रदान किए जाए|
8.उपसंहार:-
"भारतीय गणतंत्र घोटालों का गणतंत्र बन गया है, भ्रष्टाचार की गंगा ऊपर से नीचे की ओर बह रही है|"
भ्रष्टाचार हमारे देश की स्वतंत्रता-रुपी सीता का रावण बनकर हरण कर रहा है, जब तक शक्ति सील पराक्रम से युवा सदाचारी राम नहीं बन पनपेंगे, तब तक इसका विनाश संभव नहीं है|
यदि हम अपने इस महान राष्ट्र की प्रगति चाहते हैं, तो जीवन से भ्रष्टाचार समाप्त करना होगा| हमें दृढ़तापूर्वक भ्रष्टाचार निवारण करना होगा, सरकार को भ्रष्टाचारियों को कठोर दंड देना चाहिए, जनता को ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार करना चाहिए, तभी हमारी भारत मां का सपना साकार हो सकेगा और हम कह सकेंगें-
"भारत मां का एक एक सपना,
करना है साकार|
दिशा-दिशा में गूंज उठी,
भारत मां की जय जय कार||"
Corruption Essay in English
ReplyDeleteThis blog really well written and read more information on Essay on Corruption in hindi and keep share more information
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