Friday, 29 July 2016
What Is a Terrestrial Magnetism In Hindi:पार्थिव चुंबकत्व क्या हैं हीन्दी में..
पार्थिव चुंबकत्व(Terrestrial Magnetism):-
पृथ्वी एक चुंबक की तरह व्यवहार करती है| पृथ्वी के चुंबकत्व को ही पार्थिव चुंबकत्व कहते है|
16वीं सदी में इंग्लैंड के प्रसिद्ध विज्ञानिक 'गिल्बर्ट' ने मैग्नेटाइट या चुंबक पत्थर को एक गोले की आकृति में काटा था उन्होंने पाया कि ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतंत्र चुंबकीय सुई इस गोले के भिन्न-भिन्न भागों पर ठीक उसी तरह व्यवहार करती है जैसा कि पृथ्वी के भिन्न-भिन्न स्थानों पर होता है इस बात से सिद्ध हुआ कि पृथ्वी एक चुंबक की भांति कार्य करती है|
पार्थिव चुंबक की पुष्टि करने हेतु प्रमाण:-
छैतिज तल में घूमने के लिए स्वतंत्र चुंबक सदैव उत्तर दक्षिण दिशा में रहता है यह तभी संभव है जब कि पृथ्वी चुंबक की भांति कार्य करें चुंबकीय बल रेखाएं खींचते समय उदासीन बिंदु प्राप्त होते हैं, उदासीन बिंदु पर परिणामी तीव्रता शून्य होती है| इस बिंदु पर चुम्बक के चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता अन्य चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता से संतुलित हो जाती है| चुम्बक के पास अन्य चुंबक नहीं है और संतुलित करने वाला चुंबकीय क्षेत्र प्रथ्वी का ही चुंबकीय क्षेत्र होना चाहिए| लोहे की एक छड़ को उत्तर दक्षिण दिशा में गार्ड देने पर वह कुछ समय पश्चात चमक बन जाती है यह तभी संभव है, जब प्रथ्वी चुम्बक की भांति कार्य करें|
पृथ्वी एक चुंबक की तरह व्यवहार करती है| पृथ्वी के चुंबकत्व को ही पार्थिव चुंबकत्व कहते है|
16वीं सदी में इंग्लैंड के प्रसिद्ध विज्ञानिक 'गिल्बर्ट' ने मैग्नेटाइट या चुंबक पत्थर को एक गोले की आकृति में काटा था उन्होंने पाया कि ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतंत्र चुंबकीय सुई इस गोले के भिन्न-भिन्न भागों पर ठीक उसी तरह व्यवहार करती है जैसा कि पृथ्वी के भिन्न-भिन्न स्थानों पर होता है इस बात से सिद्ध हुआ कि पृथ्वी एक चुंबक की भांति कार्य करती है|
पार्थिव चुंबक की पुष्टि करने हेतु प्रमाण:-
छैतिज तल में घूमने के लिए स्वतंत्र चुंबक सदैव उत्तर दक्षिण दिशा में रहता है यह तभी संभव है जब कि पृथ्वी चुंबक की भांति कार्य करें चुंबकीय बल रेखाएं खींचते समय उदासीन बिंदु प्राप्त होते हैं, उदासीन बिंदु पर परिणामी तीव्रता शून्य होती है| इस बिंदु पर चुम्बक के चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता अन्य चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता से संतुलित हो जाती है| चुम्बक के पास अन्य चुंबक नहीं है और संतुलित करने वाला चुंबकीय क्षेत्र प्रथ्वी का ही चुंबकीय क्षेत्र होना चाहिए| लोहे की एक छड़ को उत्तर दक्षिण दिशा में गार्ड देने पर वह कुछ समय पश्चात चमक बन जाती है यह तभी संभव है, जब प्रथ्वी चुम्बक की भांति कार्य करें|
Tuesday, 12 July 2016
समय का सदुपयोग प्रस्तावना नष्ट हुई संपत्ति और कोई हुए वैभव को पुनः प्राप्त करने के लिए मनुष्य निरंतर मेहनत करता है 1 दिनों से सफलता मिल ही जाती है खोया हुआ स्वास्थ्य और नष्ट हुआ धन पुणे प्राप्त किया जा सकता है किंतु खोया हुआ था फिर वापस नहीं मिलता समय ना तो मनुष्य की प्रतीक्षा करता है और ना परवाह समय का रथ तो तेजी से चल रहा है उसे कोई भी रोक नहीं सकता
निबंध राष्ट्र निर्माण देश की प्रगति में छात्रों का योगदान
"राष्ट्र निर्माण देश की प्रगति में छात्रों का योगदान"
"चाहे जो हो धर्म तुम्हारा,
चाहे जो वादी हो|
नहीं जी रहे अगर देश हित,
तो निश्चय ही अपराधी हो|"
1.प्रस्तावना:-
राष्ट्र का वास्तविक अर्थ उस देश की भूमि नहीं वरन देश की भूमि में रहने वाली जनता है, जनता की सुख-समृद्धि ही राष्ट्र की सच्ची प्रगति है| आज के विद्यार्थी कल देश के नागरिक होंगे, छात्र जीवन में ही उनके मन में राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना यदि भर जाए तो वे राष्ट्र की उन्नति में सहायक होंगे जिस मातृभूमि की गोद में हमने जन्म लिया है| जिस की धरती से हमारा पालन पोषण हुआ है, उस देश की सेवा प्रगति में कुछ विशिष्ट लोगों का साथ हो यह ठीक नहीं बल्कि आज के छात्रों को भी इस प्रगति में पूर्ण सहयोग देना चाहिए| छात्रों को ना केवल अपने अधिकारों के बारे में सचेत रहना चाहिए, बल्कि उन्हें अपने कर्तव्य के प्रति भी उतनी ही निष्ठा रखनी चाहिए,जितनी कि वह अपने उचित काम के प्रति रखते रखते हैं|
2.छात्र देश का अविभाज्य अंग:-
छात्र देश के कर्णधार हैं, समाज व्यक्ति से ही बनता है| वह बहुत सी इकाइयों का समूह है और छात्र देश के अविभाज्य अंग है, छात्रों का प्रत्येक निष्ठापूर्वक किया हुआ कार्य देश को, देश के चरित्र को, देश के मान-सम्मान और गौरव को बनाता है| और इनके ही कृतियों द्वारा देश बदनाम होता है| उसकी अवनति होती है, छात्रों की प्रत्येक गतिविधि की परछाईं देश के चरित्र में स्पष्ट झलकती है| हमारी प्रगति ही देश की प्रगति है, इस बात को भली प्रकार से समझ लेना ही उचित होगा|
3.छात्र देश के भावी कर्णधार:-
छात्रों का स्वध्याय चिंतन, मनन, उनके शिष्ट व्यवहार, मधुर सम्मान यह सब देश की प्रगति का सूचक ही है| छात्र और जनता अच्छी होगी तो देश अच्छा कहलाएगा| यदि छात्र अनुशासित होंगे तो देश अनुशासित कहलाएगा ईमानदारी, सच्चाई और दूसरों के क्रियाकलाप में अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं करना ही एक प्रगतिशील राष्ट्र की निशानी है| छात्र शांत, चित्त और अन्य श्रद्धा से शिक्षा ग्रहण करें, यही देश की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान है| क्योंकि यह ही देश के भावी कर्णधार हैं और देश को महान बनाने के कर्म में लगे हुए हैं|
शिक्षण और स्वध्याय से जो समय बचे उसमें छात्रों को अपने सच्चे समय का सदुपयोग करना चाहिए|
4.देश के प्रति छात्रों का कर्तव्य छात्र:-
प्रौढ़ शिक्षा एवं साक्षरता आंदोलन में भाग लेकर अशिक्षित को शिक्षित बनाने का काम कर सकते हैं| सार्वजनिक रूप से व्याख्यान मालाओं का आयोजन कर देश के चरित्र को ऊंचा उठाने में नैतिक मूल्यों की मान्यता की, धर्मनिरपेक्षता की, शिक्षा का प्रचार कर एकता का प्रयास कर सकते हैं| अकाल ग्रस्त या भूकंप पीड़ित, ओलावृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों के लिए टोलियां बना कर धन सामग्री एकत्रित कर उनकी सहायता कर सकते हैं|
बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में जाकर डूबने वाले व्यक्तियों को बचाया जा सकते हैं| स्वयं सेवी संस्थाओं का निर्माण भी कर सकते हैं| जो देवी विपत्ति के समय हरदम मदद को तैयार रहें, अवकाश के समय गांव में जाकर श्रमदान द्वारा सड़क निर्माण, कुओं की सफाई, परिसर की स्वच्छता के लिए प्रयास कर सकते हैं| कृषि की उन्नति में नवीन विज्ञानिक साधनों की, उन्नत बीजों की, खाद, दवा की जानकारी दे सकते हैं| इसके अतिरिक्त छात्रों का देश की प्रगति में जो योगदान है, उस में महत्वपूर्ण भूमिका यह है| कि वह देश की संपत्ति का विनाश ना करें देश के अराजक तत्वों छात्रों के माध्यम से देश में महाविद्यालय में स्थान स्थान पर तोड़फोड़ करवा कर अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं, इससे छात्रों को दूर रहना चाहिए|
5. एक निष्ठ भाव से अध्ययन:-
देश की प्रगति में छात्रों के योगदान का आशा है, की निष्ठा भाव से अध्ययन करना | क्योंकि विद्या प्राप्ति के लिए एक अवस्था और एक समय निश्चित है| यदि इस अवस्था में एक निष्ठा का अभाव रहा तो भावी जीवन के उद्देश्यों की पूर्ति संभव नहीं है, जीवन की नींव ही यदि कमजोर हुई तो उस पर जो घर खड़ा होगा, वह स्थाई नहीं रह पाएगा वह केवल लड़खड़ाते हुए अपनी जिंदगी काटेगा| यदि छात्र संपूर्ण तन्मयता से एक श्रेष्ठ सुसंस्कृत सभ्य नागरिक बनने की तैयारी करें रहे हैं, तो यही देश सेवा है| छात्र चाहे तो कुशल, व्यवसाई, विद्वान, वक्ता, सफल, प्रसिद्ध, निपुण कलाकार कुछ भी बन सकता है और यही आज का छात्र कल का सभ्य नागरिक बन कर देश की प्रगति में सहायक होगा|
6.उपसन्हार:-
छात्रों का देश की प्रगति में जो योगदान है| उसमें महत्वपूर्ण यह है, कि वह देश की संपत्ति का विनाश ना करें| देश के अराजक तत्वों छात्रों के माध्यम से देश में महाविद्यालयों में स्थान स्थान पर तोड़फोड़ करवाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं| ऐसे छात्रों को दूर रहना चाहिए| छात्र जीवन विद्यार्थी की वह अवस्था होती है जिसमे मनुष्य अटूट शक्ति संपन्न होता है, उनमें कार्य संपादन की अभूतपूर्व क्षमता होती है| मन मस्तिष्क तेज होते हैं, यदि उन्हें सही दिशा में ले और उनकी शक्ति का उचित मार्ग यांत्रिकरण हो तो वह देश की प्रगति में अत्यंत लाभप्रद सिद्ध साबित होंगे| भारतीय छात्र पूर्ण शक्ति और सामर्थ्य से देश को आगे बढ़ाएं ताकि देश उन्नति कर सके|
"जय हिंद जय जवान जय किसान"
"चाहे जो हो धर्म तुम्हारा,
चाहे जो वादी हो|
नहीं जी रहे अगर देश हित,
तो निश्चय ही अपराधी हो|"
1.प्रस्तावना:-
राष्ट्र का वास्तविक अर्थ उस देश की भूमि नहीं वरन देश की भूमि में रहने वाली जनता है, जनता की सुख-समृद्धि ही राष्ट्र की सच्ची प्रगति है| आज के विद्यार्थी कल देश के नागरिक होंगे, छात्र जीवन में ही उनके मन में राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना यदि भर जाए तो वे राष्ट्र की उन्नति में सहायक होंगे जिस मातृभूमि की गोद में हमने जन्म लिया है| जिस की धरती से हमारा पालन पोषण हुआ है, उस देश की सेवा प्रगति में कुछ विशिष्ट लोगों का साथ हो यह ठीक नहीं बल्कि आज के छात्रों को भी इस प्रगति में पूर्ण सहयोग देना चाहिए| छात्रों को ना केवल अपने अधिकारों के बारे में सचेत रहना चाहिए, बल्कि उन्हें अपने कर्तव्य के प्रति भी उतनी ही निष्ठा रखनी चाहिए,जितनी कि वह अपने उचित काम के प्रति रखते रखते हैं|
2.छात्र देश का अविभाज्य अंग:-
छात्र देश के कर्णधार हैं, समाज व्यक्ति से ही बनता है| वह बहुत सी इकाइयों का समूह है और छात्र देश के अविभाज्य अंग है, छात्रों का प्रत्येक निष्ठापूर्वक किया हुआ कार्य देश को, देश के चरित्र को, देश के मान-सम्मान और गौरव को बनाता है| और इनके ही कृतियों द्वारा देश बदनाम होता है| उसकी अवनति होती है, छात्रों की प्रत्येक गतिविधि की परछाईं देश के चरित्र में स्पष्ट झलकती है| हमारी प्रगति ही देश की प्रगति है, इस बात को भली प्रकार से समझ लेना ही उचित होगा|
3.छात्र देश के भावी कर्णधार:-
छात्रों का स्वध्याय चिंतन, मनन, उनके शिष्ट व्यवहार, मधुर सम्मान यह सब देश की प्रगति का सूचक ही है| छात्र और जनता अच्छी होगी तो देश अच्छा कहलाएगा| यदि छात्र अनुशासित होंगे तो देश अनुशासित कहलाएगा ईमानदारी, सच्चाई और दूसरों के क्रियाकलाप में अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं करना ही एक प्रगतिशील राष्ट्र की निशानी है| छात्र शांत, चित्त और अन्य श्रद्धा से शिक्षा ग्रहण करें, यही देश की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान है| क्योंकि यह ही देश के भावी कर्णधार हैं और देश को महान बनाने के कर्म में लगे हुए हैं|
शिक्षण और स्वध्याय से जो समय बचे उसमें छात्रों को अपने सच्चे समय का सदुपयोग करना चाहिए|
4.देश के प्रति छात्रों का कर्तव्य छात्र:-
प्रौढ़ शिक्षा एवं साक्षरता आंदोलन में भाग लेकर अशिक्षित को शिक्षित बनाने का काम कर सकते हैं| सार्वजनिक रूप से व्याख्यान मालाओं का आयोजन कर देश के चरित्र को ऊंचा उठाने में नैतिक मूल्यों की मान्यता की, धर्मनिरपेक्षता की, शिक्षा का प्रचार कर एकता का प्रयास कर सकते हैं| अकाल ग्रस्त या भूकंप पीड़ित, ओलावृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों के लिए टोलियां बना कर धन सामग्री एकत्रित कर उनकी सहायता कर सकते हैं|
बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में जाकर डूबने वाले व्यक्तियों को बचाया जा सकते हैं| स्वयं सेवी संस्थाओं का निर्माण भी कर सकते हैं| जो देवी विपत्ति के समय हरदम मदद को तैयार रहें, अवकाश के समय गांव में जाकर श्रमदान द्वारा सड़क निर्माण, कुओं की सफाई, परिसर की स्वच्छता के लिए प्रयास कर सकते हैं| कृषि की उन्नति में नवीन विज्ञानिक साधनों की, उन्नत बीजों की, खाद, दवा की जानकारी दे सकते हैं| इसके अतिरिक्त छात्रों का देश की प्रगति में जो योगदान है, उस में महत्वपूर्ण भूमिका यह है| कि वह देश की संपत्ति का विनाश ना करें देश के अराजक तत्वों छात्रों के माध्यम से देश में महाविद्यालय में स्थान स्थान पर तोड़फोड़ करवा कर अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं, इससे छात्रों को दूर रहना चाहिए|
5. एक निष्ठ भाव से अध्ययन:-
देश की प्रगति में छात्रों के योगदान का आशा है, की निष्ठा भाव से अध्ययन करना | क्योंकि विद्या प्राप्ति के लिए एक अवस्था और एक समय निश्चित है| यदि इस अवस्था में एक निष्ठा का अभाव रहा तो भावी जीवन के उद्देश्यों की पूर्ति संभव नहीं है, जीवन की नींव ही यदि कमजोर हुई तो उस पर जो घर खड़ा होगा, वह स्थाई नहीं रह पाएगा वह केवल लड़खड़ाते हुए अपनी जिंदगी काटेगा| यदि छात्र संपूर्ण तन्मयता से एक श्रेष्ठ सुसंस्कृत सभ्य नागरिक बनने की तैयारी करें रहे हैं, तो यही देश सेवा है| छात्र चाहे तो कुशल, व्यवसाई, विद्वान, वक्ता, सफल, प्रसिद्ध, निपुण कलाकार कुछ भी बन सकता है और यही आज का छात्र कल का सभ्य नागरिक बन कर देश की प्रगति में सहायक होगा|
6.उपसन्हार:-
छात्रों का देश की प्रगति में जो योगदान है| उसमें महत्वपूर्ण यह है, कि वह देश की संपत्ति का विनाश ना करें| देश के अराजक तत्वों छात्रों के माध्यम से देश में महाविद्यालयों में स्थान स्थान पर तोड़फोड़ करवाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं| ऐसे छात्रों को दूर रहना चाहिए| छात्र जीवन विद्यार्थी की वह अवस्था होती है जिसमे मनुष्य अटूट शक्ति संपन्न होता है, उनमें कार्य संपादन की अभूतपूर्व क्षमता होती है| मन मस्तिष्क तेज होते हैं, यदि उन्हें सही दिशा में ले और उनकी शक्ति का उचित मार्ग यांत्रिकरण हो तो वह देश की प्रगति में अत्यंत लाभप्रद सिद्ध साबित होंगे| भारतीय छात्र पूर्ण शक्ति और सामर्थ्य से देश को आगे बढ़ाएं ताकि देश उन्नति कर सके|
"जय हिंद जय जवान जय किसान"
Monday, 11 July 2016
निबंध दहेज प्रथा एक सामाजिक अभिशाप.
"दहेज प्रथा एक सामाजिक अभिशाप"
"अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी|
आंचल में है दूध और आंखों में पानी||"
1.प्रस्तावना:-
समाज के अंतर्गत समस्याओं का विकराल जाल फैला हुआ है| यह छोटी छोटी तुच्छ तथा साधारण समस्याएं कभी-कभी जी का जंजाल बन जाती है|लाड-प्यार से पाली-पोषित शिशु भी बड़ा होकर मां-बाप पर बोझ बन जाती है उसी तरह यह समस्याएं भी जी के जंजाल की तरह बन जाती है| समाज के रुप को विकृत तथा घिनौना बना देती है, उन समस्याओं में से एक विकराल समस्या है, दहेज प्रथा समाज की जड़ो को खोखला किए दे रही है, इसे समाज तथा व्यक्तिगत प्रगति पर विराम सा लग चुका है| अनुराग एवं वात्सल्य का तेज दहेज युग परिवर्तन के साथ खुद भी परिवर्तित होकर विशाल रूप मैं उपस्थित हो रहा है|
2.दहेज का आशय एवं स्वरुप:-
साधारण रूप में दहेज वह संपत्ति है जिसे पिता अपनी पुत्री को इच्छा अनुसार प्रदान करता है| पुराने समय से ही दहेज का चलन चल रहा है, इसके अंतर्गत के समय वर पक्ष और कन्या पक्ष को आभूषण, वस्त्र एवं रुपए प्रदान किए जाते थे परंतु समय के साथ-साथ यह परंपरा एवं परवर्ती अपरिहार्य तथा आवश्यक बन गई, आज वर पक्ष दहेज के रूप में tv, फ्रिज, मोटर साइकल एवं कार, वॉशिंग मशीन आदि की निसंकोच मांग करता है| इनके अभाव में सुशिक्षित एवं योग्य कन्या को मनचाहा जीवन साथी नहीं मिल पाता है|
इस स्थिति में निर्धन पिता की पुत्री या तो अविवाहित रहकर पिता, सदा परिवार के लिए बोझ बन जाती है| बेमेल विवाह योग्य वर के साथ जीवन जीने के लिए विवश हो जाती है| दहेज की कुप्रथा ने अनेक युक्तियों को काल के मुंह में डाल दिया है, समाचार पत्र आए दिन इस प्रकार की आवाज में घटनाओं से भरी रहती हैं| रावण ने सीता का अपहरण करके उसकी जिंदगी को अभीशप्त, दुख-दर्द तथा आंसुओं की गाथा बनाया था, परंतु दहेज रूपी रावण ने असंख्य कन्याओं के सोभाग्य सिंदूर को पोंच कर उनकी जिंदगी को पीड़ाओं की अमर गाथा बना दिया है|
3.दहेज प्रथा का अविर्भाव:-
यदि इतिहास की धुंधली दुरबीन उठाकर भूतकाल की पगडंडी पर दृष्टिपात करते हैं तो यह बात स्पष्ट होती है कि दहेज प्रथा का प्रचलन सामंती युग में भी था| सामंत अपनी बेटियों की शादी में आभूषण एवं दास, दासियं उपहार के रुप में प्रदान किया करते थे|समय-समय पर इस बुरी प्रथा ने संपूर्ण समाज को भी अपनी परिधि में समेट लिया इस कुप्रथा के लिए झूठी शान रुढ़िवादिता तथा धर्म का अंधानुकरण उत्तरदाई है|
4. दहेज के दुष्परिणाम:-
दहेज के फलस्वरूप आज सामाजिक वातावरण विषैला, दूषित एवं घृणित हो गया है| अनमोल विवाहों की भरमार है जिसके कारण परिवार एवं घर में प्रतिपल संघर्ष एवं कोहराम मचा रहता है|जिस बहू के घर से दहेज में यथेष्ट धन नहीं दिया जाता, ससुराल में आकर उसे जो पीड़ा एवं ताने मिलते हैं| उसकी कल्पना मात्र से शरीर सिहरने लगता है| कभी-कभी उसे ससुराल वालों द्वारा जहर दे दिया जाता है या फिर जला कर मार दिया जाता है|मनुष्य क्षणभर के लिए या सोचने के लिए विवश हो जाता है, कि आदर्श भारत का जिंदगी का रथ किस ओर अग्रसर हो रहा है| प्रेरणा सूत्र में बंधने के पश्चात जहां संबंध, अनुराग एवं भाईचारे के होने के चाहिए वह आज कटुता एवं शत्रुता पैर पसारे हुए हैं|
5.नौजवानों का कर्तव्य:-
दहेज प्रथा समस्या का निराकरण समाज एवं सरकार के बूते का कार्य नहीं है|इसके लिए तो युवक एवं युक्तियों को स्वयं आगे बढ़कर दहेज ना लेने एवं देने की द्रण प्रतिज्ञा करनी चाहिए|मात्र कानून बनाने से इस समस्या का निराकरण नहीं हो सकता है जितने कानून नियमित किए जा रहे हैं, दहेज लेने एवं देने वाले शोध ग्रंथों की तरह उपाय खोजने में सफल हो रहे हैं| इस प्रथा को समाप्त करने के लिए महिलाओं को इस संदर्भ में प्रयास करना चाहिए, इसके लिए एक प्रभावी andolan भी चलाना चाहिए सरकार को भी कठोर कानून बनाकर इस बुरी प्रथा पर प्रतिबंध लगाना चाहिए|
शासन में सन् 1961 में दहेज विरोधी कानून पारित किया था| सन 1976 में इसमें कुछ संशोधन भी किए गए थे, किंतु फिर भी दहेज पर अंकुश नहीं लग सका| समाज सुधारक भी इस दिशा में पर्याप्त सहयोग दे सकते हैं, दहेज लेने वालों का सामाजिक बहिष्कार आवश्यक है| सहशिक्षा भी दहेज प्रथा को रोकने में सक्षम है, सामाजिक चेतना को जागृत करना भी आवश्यक है|
6.उपसन्हार:-
अनेक वर्षों से इस बुरी प्रथा को समाप्त करने के लिए भागीरथ प्रयास किया जा रहा है, लेकिन दहेज का कैंसर ठीक नहीं होने के स्थान पर निरंतर विकराल रुप धारण करता जा रहा है| इस कुप्रथा का तभी समापन होगा, जब वर पक्ष एवं कन्या पक्ष सम्मिलित रुप से इस प्रथा को समाप्त करने में सक्षम होंगे, यदि इस दिशा में जरा भी उपेक्षा अपनाई गई तो यह ऐसा कोड है जो समाज रूपी शरीर को विकृत एवं दुर्गंध से आ पूरित कर देगा| समाज एवं शासन दोनों को जोरदार तरीके से दहेज विरोधी अभियान प्रारंभ करना परम आवश्यक है|
अब तो एक ही नारा होना चाहिए- "दुल्हन ही दहेज है" यह नारा मात्र कल्पना की भूमि पर विहार करने वाला ना होकर समाज की यथार्थ धरती पर स्थित होना चाहिए, तभी भारत के कण-कण से सावित्री, सीता एवं गार्गी तुल्य कन्याओं की ही यह ध्वनि गूंजेगी|
"अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी|
आंचल में है दूध और आंखों में पानी||"
1.प्रस्तावना:-
समाज के अंतर्गत समस्याओं का विकराल जाल फैला हुआ है| यह छोटी छोटी तुच्छ तथा साधारण समस्याएं कभी-कभी जी का जंजाल बन जाती है|लाड-प्यार से पाली-पोषित शिशु भी बड़ा होकर मां-बाप पर बोझ बन जाती है उसी तरह यह समस्याएं भी जी के जंजाल की तरह बन जाती है| समाज के रुप को विकृत तथा घिनौना बना देती है, उन समस्याओं में से एक विकराल समस्या है, दहेज प्रथा समाज की जड़ो को खोखला किए दे रही है, इसे समाज तथा व्यक्तिगत प्रगति पर विराम सा लग चुका है| अनुराग एवं वात्सल्य का तेज दहेज युग परिवर्तन के साथ खुद भी परिवर्तित होकर विशाल रूप मैं उपस्थित हो रहा है|
2.दहेज का आशय एवं स्वरुप:-
साधारण रूप में दहेज वह संपत्ति है जिसे पिता अपनी पुत्री को इच्छा अनुसार प्रदान करता है| पुराने समय से ही दहेज का चलन चल रहा है, इसके अंतर्गत के समय वर पक्ष और कन्या पक्ष को आभूषण, वस्त्र एवं रुपए प्रदान किए जाते थे परंतु समय के साथ-साथ यह परंपरा एवं परवर्ती अपरिहार्य तथा आवश्यक बन गई, आज वर पक्ष दहेज के रूप में tv, फ्रिज, मोटर साइकल एवं कार, वॉशिंग मशीन आदि की निसंकोच मांग करता है| इनके अभाव में सुशिक्षित एवं योग्य कन्या को मनचाहा जीवन साथी नहीं मिल पाता है|
इस स्थिति में निर्धन पिता की पुत्री या तो अविवाहित रहकर पिता, सदा परिवार के लिए बोझ बन जाती है| बेमेल विवाह योग्य वर के साथ जीवन जीने के लिए विवश हो जाती है| दहेज की कुप्रथा ने अनेक युक्तियों को काल के मुंह में डाल दिया है, समाचार पत्र आए दिन इस प्रकार की आवाज में घटनाओं से भरी रहती हैं| रावण ने सीता का अपहरण करके उसकी जिंदगी को अभीशप्त, दुख-दर्द तथा आंसुओं की गाथा बनाया था, परंतु दहेज रूपी रावण ने असंख्य कन्याओं के सोभाग्य सिंदूर को पोंच कर उनकी जिंदगी को पीड़ाओं की अमर गाथा बना दिया है|
3.दहेज प्रथा का अविर्भाव:-
यदि इतिहास की धुंधली दुरबीन उठाकर भूतकाल की पगडंडी पर दृष्टिपात करते हैं तो यह बात स्पष्ट होती है कि दहेज प्रथा का प्रचलन सामंती युग में भी था| सामंत अपनी बेटियों की शादी में आभूषण एवं दास, दासियं उपहार के रुप में प्रदान किया करते थे|समय-समय पर इस बुरी प्रथा ने संपूर्ण समाज को भी अपनी परिधि में समेट लिया इस कुप्रथा के लिए झूठी शान रुढ़िवादिता तथा धर्म का अंधानुकरण उत्तरदाई है|
4. दहेज के दुष्परिणाम:-
दहेज के फलस्वरूप आज सामाजिक वातावरण विषैला, दूषित एवं घृणित हो गया है| अनमोल विवाहों की भरमार है जिसके कारण परिवार एवं घर में प्रतिपल संघर्ष एवं कोहराम मचा रहता है|जिस बहू के घर से दहेज में यथेष्ट धन नहीं दिया जाता, ससुराल में आकर उसे जो पीड़ा एवं ताने मिलते हैं| उसकी कल्पना मात्र से शरीर सिहरने लगता है| कभी-कभी उसे ससुराल वालों द्वारा जहर दे दिया जाता है या फिर जला कर मार दिया जाता है|मनुष्य क्षणभर के लिए या सोचने के लिए विवश हो जाता है, कि आदर्श भारत का जिंदगी का रथ किस ओर अग्रसर हो रहा है| प्रेरणा सूत्र में बंधने के पश्चात जहां संबंध, अनुराग एवं भाईचारे के होने के चाहिए वह आज कटुता एवं शत्रुता पैर पसारे हुए हैं|
5.नौजवानों का कर्तव्य:-
दहेज प्रथा समस्या का निराकरण समाज एवं सरकार के बूते का कार्य नहीं है|इसके लिए तो युवक एवं युक्तियों को स्वयं आगे बढ़कर दहेज ना लेने एवं देने की द्रण प्रतिज्ञा करनी चाहिए|मात्र कानून बनाने से इस समस्या का निराकरण नहीं हो सकता है जितने कानून नियमित किए जा रहे हैं, दहेज लेने एवं देने वाले शोध ग्रंथों की तरह उपाय खोजने में सफल हो रहे हैं| इस प्रथा को समाप्त करने के लिए महिलाओं को इस संदर्भ में प्रयास करना चाहिए, इसके लिए एक प्रभावी andolan भी चलाना चाहिए सरकार को भी कठोर कानून बनाकर इस बुरी प्रथा पर प्रतिबंध लगाना चाहिए|
शासन में सन् 1961 में दहेज विरोधी कानून पारित किया था| सन 1976 में इसमें कुछ संशोधन भी किए गए थे, किंतु फिर भी दहेज पर अंकुश नहीं लग सका| समाज सुधारक भी इस दिशा में पर्याप्त सहयोग दे सकते हैं, दहेज लेने वालों का सामाजिक बहिष्कार आवश्यक है| सहशिक्षा भी दहेज प्रथा को रोकने में सक्षम है, सामाजिक चेतना को जागृत करना भी आवश्यक है|
6.उपसन्हार:-
अनेक वर्षों से इस बुरी प्रथा को समाप्त करने के लिए भागीरथ प्रयास किया जा रहा है, लेकिन दहेज का कैंसर ठीक नहीं होने के स्थान पर निरंतर विकराल रुप धारण करता जा रहा है| इस कुप्रथा का तभी समापन होगा, जब वर पक्ष एवं कन्या पक्ष सम्मिलित रुप से इस प्रथा को समाप्त करने में सक्षम होंगे, यदि इस दिशा में जरा भी उपेक्षा अपनाई गई तो यह ऐसा कोड है जो समाज रूपी शरीर को विकृत एवं दुर्गंध से आ पूरित कर देगा| समाज एवं शासन दोनों को जोरदार तरीके से दहेज विरोधी अभियान प्रारंभ करना परम आवश्यक है|
अब तो एक ही नारा होना चाहिए- "दुल्हन ही दहेज है" यह नारा मात्र कल्पना की भूमि पर विहार करने वाला ना होकर समाज की यथार्थ धरती पर स्थित होना चाहिए, तभी भारत के कण-कण से सावित्री, सीता एवं गार्गी तुल्य कन्याओं की ही यह ध्वनि गूंजेगी|
Saturday, 9 July 2016
Essay of Weightage of forest: निबंध बन महोत्सव एवं वृक्षारोपण या वन संरक्षण एवं जीवन में वनो का महत्व
बन महोत्सव
अथवा
वृक्षारोपण या वन संरक्षण
अथवा
जीवन में वनो का महत्व
1.प्रस्तावना:-
भारतवर्ष का मौसम और जलवायु देशों में सर्वश्रेष्ठ है, इसकी प्राकृतिक रमणीयता और हरित वैभव विख्यात है विदेशी पर्यटक यहां की मनोहारी प्राकृतिक सुषमा देखकर मोहित हो जाते हैं|
2.प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति में वृक्षों की महत्ता:-
हमारे देश की प्राचीन संस्कृति में वृक्षों की पूजा और आराधना की जाती है|तथा नेतृत्व की उपाधि दी जाती है|बच्चों को प्रकृति ने मानव की मूल आवश्यकता से जोड़ा है| किसी ने कहा है कि- वृक्ष ही जल है, जल ही अन्न है,और अन्न ही जीवन है| यदि वृक्ष न होते तो नदी और आसमान ना होते वृक्ष की जड़ों के साथ वर्षा का जल जमीन के भीतर पहुंचता है, वन हमारी सभ्यता और संस्कृतिके रक्षक है|शांति और एकांत की खोज में हमारे ऋषि मुनि वनों में रहते थे, वहां उन्होंने तत्व ज्ञान प्राप्त किया और वह विश्व कल्याण के उपाय भी सोचते, वही गुरुकुल होते थे| जिसमें भावी राजा, दार्शनिक, पंडित आदि शिक्षा ग्रहण करते थे|आयुर्वेद के अनुसार पेड़ पौधों की सहायता से मानव को स्वस्थ एवं दीर्घायु किया जा सकता है| तीव्र गति से जनसंख्या बढ़ने तथा राष्ट्रों के ओद्योगिक विकास कार्यक्रमों के कारण पर्यावरण की समस्या गंभीर हो रही है| प्राकृतिक साधनों के अधिक और अधिक उपयोग से पर्यावरण बिगड़ता जा रहा है|वृक्षों की भारी तादाद में कटाई से जलवायु बदल रही है|ताप की मात्रा बढ़ती जा रही है, नदियों का जल दूषित होता जा रहा है, वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ रही है, इसे भी भावी पीढ़ी के स्वास्थ्य को खतरा है|
3.वृक्षों की उपासना का प्रचलन:-
वृक्षों के महत्व एवं गौरव को समझते हुए हमारी प्राचीन परंपरा में इनकी आराधना पर बल दिया गया है|पीपल के वृक्ष की पूजा करना, व्रत रखकर उसकी परिक्रमा करना एवं जल अर्पण करना और पीपल को काटना पाप करने के सामान है|यह धारणा वृक्षों की संपत्ति की रक्षा का भाव प्रकट करती है| प्रत्येक हिंदू के आंगन में तुलसी का पौधा अवश्य में देखने को मिलता है| तुलसी पत्र का सेवन प्रसाद में आवश्यक माना गया है| बेल के वृक्ष, फल और बेलपत्र की महिमा इतनी है, कि वह शिवजी पर चढ़ाए जाते हैं| कदम वृक्ष को श्री कृष्ण का प्रिय पेड़ बताया है तथा अशोक के वृक्ष शुभ और मंगल दायक हैं| इन वृक्ष की रक्षा हेतु कहते हैं कि-हरे वृक्षों को काटना पाप है, श्याम के समय किसी वृक्ष के पत्ते तोड़ना मना है वृक्ष सो जाते हैं |यह सब हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के प्रतीक है| जिसमें वृक्षों को ईश्वर स्वरूप, वन को संपदा और वृक्षों को काटने वालों को अपराधी कहा जाता है|
4.वृक्षों से लाभ:-
वृक्षों से स्वास्थ्य लाभ होता है क्योंकि मनुष्य के श्वास प्रक्रिया से जो दूषित हवा बाहर निकलती है, वृक्ष उन्हे ग्रहण कर, हमें बदले में स्वच्छ हवा देते हैं| आंखों की थकान दूर करने और तनाव से छुटकारा पाने के लिए विस्तृत वनों की हरियाली हमें शांति प्रदान कर आंखों की ज्योति को बढ़ाती है|वृक्ष बालक से लेकर बुजुर्गों तक सभी के मन को भाते है| इसलिए हम अपने घरों में छोटे छोटे से पौधे लगाते हैं|वृक्षों पर अनेक प्रकार के पक्षी अपना घोंसला बना कर रहते हैं और उनकी कल कल मधुर ध्वनि पर्यावरण में मधुरता घोलती है|वृक्षों से अनेक प्रकार के स्वाद भरे फल हमारे भोजन को रसमय और स्वादिष्ट बनाते हैं| इनकी छाल और जड़ों से दवाइयां बनाई जाती है|पशु वृक्षों से अपना भोजन ग्रहण करते हैं| इसलिए हमें अपनी धरती के आंचल को अधिक से अधिक हरा-भरा रखने के लिए पेड़ पौधे लगाने चाहिए| यह वर्षा कराने में सहायक होते हैं| मानसूनी हवाओं को रोककर वर्षा कराना पेड़ों का ही काम है|वृक्षों के अभाव में वर्षा नहीं होती है और वर्षा के अभाव में अन्न का उत्पादन नहीं हो पाता है| गृह कार्य में वृक्ष हमें सुखद छाया और मंद पवन देते हैं| सूखे ब्रक्ष ईंधन के काम आते हैं| गृह निर्माण, गृह सज्जा, फर्नीचर, के लिए हमें वृक्षों से ही लकड़ी मिलती है| आमला, चमेली का तेल, गुलाब, केवड़े का इत्र, खस की खुशबू यह सभी वृक्षों और उनकी जडो से ही बनाए जाते हैं|
5.उपसंहार:-
वृक्षों से हमें नैतिकता, परोपकार और विनम्रता की शिक्षा मिलती है| फलों को स्वयं वृक्ष नहीं खाता है| वह जितना अधिक फल फूलों से लगा होगा उतना ही झुका हुआ रहता है| हम जब देखते हैं कि सूखा कटा हुआ पेड़ भी कुछ दिनों में हरा भरा हो जाता है जो जीवन में आशा का संचार का धैर्य और साहस का भाव भरता है| हमें अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए|
वृक्षारोपण करके ही हम अपनी भावी पीढ़ी के लिए जीवन उत्तरदाई वातावरण सृजित कर सकते हैं| यदि आज इस दृष्टि से वृक्षों का अस्तित्व मिटा दिया गया तो कल आने वाले समय में इस सृष्टि पर जीवन का होना संभव नहीं होगा|वृक्षों से ही जीवन संभव है, वृक्ष है तो सब कुछ है और यदि वृक्ष नहीं है, तो जीवन में कुछ भी नहीं है| इसलिए हम कह सकते है कि-
"Trees Are Best Friend In Our Life"
अथवा
वृक्षारोपण या वन संरक्षण
अथवा
जीवन में वनो का महत्व
1.प्रस्तावना:-
भारतवर्ष का मौसम और जलवायु देशों में सर्वश्रेष्ठ है, इसकी प्राकृतिक रमणीयता और हरित वैभव विख्यात है विदेशी पर्यटक यहां की मनोहारी प्राकृतिक सुषमा देखकर मोहित हो जाते हैं|
2.प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति में वृक्षों की महत्ता:-
हमारे देश की प्राचीन संस्कृति में वृक्षों की पूजा और आराधना की जाती है|तथा नेतृत्व की उपाधि दी जाती है|बच्चों को प्रकृति ने मानव की मूल आवश्यकता से जोड़ा है| किसी ने कहा है कि- वृक्ष ही जल है, जल ही अन्न है,और अन्न ही जीवन है| यदि वृक्ष न होते तो नदी और आसमान ना होते वृक्ष की जड़ों के साथ वर्षा का जल जमीन के भीतर पहुंचता है, वन हमारी सभ्यता और संस्कृतिके रक्षक है|शांति और एकांत की खोज में हमारे ऋषि मुनि वनों में रहते थे, वहां उन्होंने तत्व ज्ञान प्राप्त किया और वह विश्व कल्याण के उपाय भी सोचते, वही गुरुकुल होते थे| जिसमें भावी राजा, दार्शनिक, पंडित आदि शिक्षा ग्रहण करते थे|आयुर्वेद के अनुसार पेड़ पौधों की सहायता से मानव को स्वस्थ एवं दीर्घायु किया जा सकता है| तीव्र गति से जनसंख्या बढ़ने तथा राष्ट्रों के ओद्योगिक विकास कार्यक्रमों के कारण पर्यावरण की समस्या गंभीर हो रही है| प्राकृतिक साधनों के अधिक और अधिक उपयोग से पर्यावरण बिगड़ता जा रहा है|वृक्षों की भारी तादाद में कटाई से जलवायु बदल रही है|ताप की मात्रा बढ़ती जा रही है, नदियों का जल दूषित होता जा रहा है, वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ रही है, इसे भी भावी पीढ़ी के स्वास्थ्य को खतरा है|
3.वृक्षों की उपासना का प्रचलन:-
वृक्षों के महत्व एवं गौरव को समझते हुए हमारी प्राचीन परंपरा में इनकी आराधना पर बल दिया गया है|पीपल के वृक्ष की पूजा करना, व्रत रखकर उसकी परिक्रमा करना एवं जल अर्पण करना और पीपल को काटना पाप करने के सामान है|यह धारणा वृक्षों की संपत्ति की रक्षा का भाव प्रकट करती है| प्रत्येक हिंदू के आंगन में तुलसी का पौधा अवश्य में देखने को मिलता है| तुलसी पत्र का सेवन प्रसाद में आवश्यक माना गया है| बेल के वृक्ष, फल और बेलपत्र की महिमा इतनी है, कि वह शिवजी पर चढ़ाए जाते हैं| कदम वृक्ष को श्री कृष्ण का प्रिय पेड़ बताया है तथा अशोक के वृक्ष शुभ और मंगल दायक हैं| इन वृक्ष की रक्षा हेतु कहते हैं कि-हरे वृक्षों को काटना पाप है, श्याम के समय किसी वृक्ष के पत्ते तोड़ना मना है वृक्ष सो जाते हैं |यह सब हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के प्रतीक है| जिसमें वृक्षों को ईश्वर स्वरूप, वन को संपदा और वृक्षों को काटने वालों को अपराधी कहा जाता है|
4.वृक्षों से लाभ:-
वृक्षों से स्वास्थ्य लाभ होता है क्योंकि मनुष्य के श्वास प्रक्रिया से जो दूषित हवा बाहर निकलती है, वृक्ष उन्हे ग्रहण कर, हमें बदले में स्वच्छ हवा देते हैं| आंखों की थकान दूर करने और तनाव से छुटकारा पाने के लिए विस्तृत वनों की हरियाली हमें शांति प्रदान कर आंखों की ज्योति को बढ़ाती है|वृक्ष बालक से लेकर बुजुर्गों तक सभी के मन को भाते है| इसलिए हम अपने घरों में छोटे छोटे से पौधे लगाते हैं|वृक्षों पर अनेक प्रकार के पक्षी अपना घोंसला बना कर रहते हैं और उनकी कल कल मधुर ध्वनि पर्यावरण में मधुरता घोलती है|वृक्षों से अनेक प्रकार के स्वाद भरे फल हमारे भोजन को रसमय और स्वादिष्ट बनाते हैं| इनकी छाल और जड़ों से दवाइयां बनाई जाती है|पशु वृक्षों से अपना भोजन ग्रहण करते हैं| इसलिए हमें अपनी धरती के आंचल को अधिक से अधिक हरा-भरा रखने के लिए पेड़ पौधे लगाने चाहिए| यह वर्षा कराने में सहायक होते हैं| मानसूनी हवाओं को रोककर वर्षा कराना पेड़ों का ही काम है|वृक्षों के अभाव में वर्षा नहीं होती है और वर्षा के अभाव में अन्न का उत्पादन नहीं हो पाता है| गृह कार्य में वृक्ष हमें सुखद छाया और मंद पवन देते हैं| सूखे ब्रक्ष ईंधन के काम आते हैं| गृह निर्माण, गृह सज्जा, फर्नीचर, के लिए हमें वृक्षों से ही लकड़ी मिलती है| आमला, चमेली का तेल, गुलाब, केवड़े का इत्र, खस की खुशबू यह सभी वृक्षों और उनकी जडो से ही बनाए जाते हैं|
5.उपसंहार:-
वृक्षों से हमें नैतिकता, परोपकार और विनम्रता की शिक्षा मिलती है| फलों को स्वयं वृक्ष नहीं खाता है| वह जितना अधिक फल फूलों से लगा होगा उतना ही झुका हुआ रहता है| हम जब देखते हैं कि सूखा कटा हुआ पेड़ भी कुछ दिनों में हरा भरा हो जाता है जो जीवन में आशा का संचार का धैर्य और साहस का भाव भरता है| हमें अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए|
वृक्षारोपण करके ही हम अपनी भावी पीढ़ी के लिए जीवन उत्तरदाई वातावरण सृजित कर सकते हैं| यदि आज इस दृष्टि से वृक्षों का अस्तित्व मिटा दिया गया तो कल आने वाले समय में इस सृष्टि पर जीवन का होना संभव नहीं होगा|वृक्षों से ही जीवन संभव है, वृक्ष है तो सब कुछ है और यदि वृक्ष नहीं है, तो जीवन में कुछ भी नहीं है| इसलिए हम कह सकते है कि-
"Trees Are Best Friend In Our Life"
Essay Of Weightage Of Discipline In Life:निवंध जीवन में अनुशासन का महत्व. क्या हैं?
अनुशासन का महत्व
1.प्रस्तावना:-
अनुशासन शब्द 2 शब्दों से मिलकर बना है- 'अनु+शासन' शासन का अर्थ है- नियम, आज्ञा तथा अनु का अर्थ है- पीछे चलना पालन करना इस प्रकार अनुशासन का अर्थ शासन का अनुसरण करना है, किंतु इसे परतंत्रता मान लेना नितांत अनुचित है| विकास के लिए तो नियमों का पालन करना आवश्यक है, लेकिन युवक की सुख शांति में प्रगतिशीलता का संसार छात्रा अवस्था पर अबलंबित है, अनुशासन आत्मानुशासन का ही एक अंग है|
2.अनुशासन की आवश्यकता:-
जीवन की सफलता का मूल आधार अनुशासन है| समस्त प्रकृति अनुशासन में बंद कर गतिमान रहती है, सूर्य, चंद्रमा, नक्षत्र, सागर, नदी, झरने, गर्मी, सर्दी, वर्षा एवं वनस्पतियां आदि सभी अनुशासित हैं| अनुशासन सरकार, समाज तथा व्यक्ति तीन स्वरों पर होता है, सरकार के नियमों का पालन करने के लिए पुलिस, न्याय, दंड, पुरस्कार आदि की व्यवस्था की गई है| यह सभी शासकीय नियमों में बंद कर कार्य करते हैं| सभी बुद्धिमान व्यक्ति उन नियमों पर चलते हैं, एवं जो उन नियमों का पालन नहीं करते हैं, वह दंड के भागी होते हैं सामाजिक व्यवस्था हेतु धर्म समाज आदि द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करने वाले व्यक्ति सुशील तथा विनर में होते हैं| ऋषि महर्षि अध्ययन के बाद अपने शिष्यों को विदा करते समय अनुशासित रहने पर बल देते थे| वह जानते थे, कि अनुशासित व्यक्ति ही किसी उत्तरदायित्व को वहन कर सकता है, अनुशासित जीवन व्यतीत करना वस्तुत दूसरे के अनुभवों से लाभ उठाना है| समाज ने जो नियम बनाए हैं वह बरसों के अनुभव के बाद सुनिश्चित किए गए हैं, भारतीय मुनियों ने अनुशासन को अपरिहार्य माना था, कि व्यक्ति का समुचित विकास हो सके, आदेश देने वाला व्यक्ति प्राय आज्ञा दिए गए व्यक्ति का हित चाहता है, अतः अनुशासन में रहना तथा अनुशासन को अपने आचरण में डाल लेना ही अति आवश्यक है, जो लोग अनुशासनहीन होते हैं| वह शब्द एवं उदंड की संख्या से अभिहित किए जाते हैं| एवं दंड के भागी होते हैं|
3.अनुशासन के लाभ:-
अनुशासन के असीमित लाभ हैं, प्रत्येक स्तर की व्यवस्था के लिए अनुशासन आवश्यक है| राणा प्रताप, शिवाजी सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी आदि ने इसी के बल पर सफलता प्राप्त की थी| इसके बिना बहुत हानि होती है, सन् 1857 में अंग्रेजों के विरुद्ध लड़े गए स्वतंत्रता संग्राम की सफलता का कारण अनुशासनहीनता थी| 31 मई को संपूर्ण भारत में विद्रोह करने का निश्चय था, लेकिन मेरठ की सेनाओं ने 10 मई को भी विद्रोह कर दिया, जिससे अनुशासन भंग हो गया था|इसका परिणाम सारे देश को भोगना पड़ा अब सब जगह एक साथ विद्रोह ना होने के कारण संज्ञा ने विद्रोह को कुचल दिया था| राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने शांतिपूर्वक विशाल अंग्रेजी साम्राज्यबाद की नींद हिला डाली थी|उसका एकमात्र कारण अनुशासन की भावना थी, महात्मा गांधी की आवाज़ पर संपूर्ण देश सत्याग्रह के लिए चल देता था, अनेक-अनेक कष्टों को बोलते हुए भी देशवासियों ने सत्य और अहिंसा का मार्ग नहीं छोड़ा पहली बार जब कुछ सत्याग्रहियों ने पुलिस के साथ मारपीट तथा दंगा कर डाला तो महात्मा जी ने तुरंत सत्याग्रह बंद करने की आज्ञा देते हुए कहा- कि अभी देश सत्याग्रह के योग्य नहीं है| लोगों में अनुशासन की कमी है, उन्होंने तब तक उन्हें सत्याग्रह प्रारंभ नहीं किया, जब तक उन्हें लोगों के अनुशासन के बारे में विश्वास नहीं हो गया एवं अनुशासन द्वारा लोगों में विश्वास की भावना पैदा की जाती है| अनुशासन विश्वास का एक महामंत्र है|
4.छात्रानुशासन:-
अनुशासन विद्यार्थी जीवन का तो अपरिहार्य अंग है| क्योंकि विद्यार्थी देश के भावी कर्णधार होते हैं, देश का भविष्य उन्हीं पर टिका हुआ होता है, उनसे यह अपेक्षा की जाती है, कि वह स्वयं अनुशासित नियंत्रित तथा कर्तव्यपरायण होकर देश की जनता का मार्ग दर्शन करें| उसे अंधकार के दर्द से निकाल कर प्रकाश की ओर ले जय आते हैं, उनके लिए अनुशासन होना अति आवश्यक है|
5.उपसंहार:-
अनुशासन के संदर्भ में मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी का जीवन प्रेरणा दाई है| अनुशासन में होने के कारण ही राम मर्यादापुरुषोत्तम कहलाने के अधिकारी हुए अनुशासन के अधीन भी राजतिलक त्यागकर वनवासी बन जाते हैं, तथा अपनी पत्नी का परित्याग कर प्रजा की आज्ञा का पालन करते हैं| इस सब का कारण है उनका अनुशासित जीवन निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है, कि जीवन में महान बनने के लिए अनुशासन आवश्यक है| बिना अनुशासन के कुछ भी कर पाना अति असंभव है, अनुशासन से व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है, तथा समाज को शुभ दिशा मिलती है| अतः अनुशासित जीवन ही जीवन है, अनुशासित जीवन की आवाज में हमारी जिंदगी दिशाहीन एवं निरर्थक हो जाएगी, यदि जीवन में अनुशासन नहीं है| तो इस मानव जीवन का जीवित रहना भी कताई अनुशासित नही हैं, अनुशासित जीवन ही जीवन है, यदि अनुशासन नहीं है तो जीवन में कुछ भी नहीं है|
1.प्रस्तावना:-
अनुशासन शब्द 2 शब्दों से मिलकर बना है- 'अनु+शासन' शासन का अर्थ है- नियम, आज्ञा तथा अनु का अर्थ है- पीछे चलना पालन करना इस प्रकार अनुशासन का अर्थ शासन का अनुसरण करना है, किंतु इसे परतंत्रता मान लेना नितांत अनुचित है| विकास के लिए तो नियमों का पालन करना आवश्यक है, लेकिन युवक की सुख शांति में प्रगतिशीलता का संसार छात्रा अवस्था पर अबलंबित है, अनुशासन आत्मानुशासन का ही एक अंग है|
2.अनुशासन की आवश्यकता:-
जीवन की सफलता का मूल आधार अनुशासन है| समस्त प्रकृति अनुशासन में बंद कर गतिमान रहती है, सूर्य, चंद्रमा, नक्षत्र, सागर, नदी, झरने, गर्मी, सर्दी, वर्षा एवं वनस्पतियां आदि सभी अनुशासित हैं| अनुशासन सरकार, समाज तथा व्यक्ति तीन स्वरों पर होता है, सरकार के नियमों का पालन करने के लिए पुलिस, न्याय, दंड, पुरस्कार आदि की व्यवस्था की गई है| यह सभी शासकीय नियमों में बंद कर कार्य करते हैं| सभी बुद्धिमान व्यक्ति उन नियमों पर चलते हैं, एवं जो उन नियमों का पालन नहीं करते हैं, वह दंड के भागी होते हैं सामाजिक व्यवस्था हेतु धर्म समाज आदि द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करने वाले व्यक्ति सुशील तथा विनर में होते हैं| ऋषि महर्षि अध्ययन के बाद अपने शिष्यों को विदा करते समय अनुशासित रहने पर बल देते थे| वह जानते थे, कि अनुशासित व्यक्ति ही किसी उत्तरदायित्व को वहन कर सकता है, अनुशासित जीवन व्यतीत करना वस्तुत दूसरे के अनुभवों से लाभ उठाना है| समाज ने जो नियम बनाए हैं वह बरसों के अनुभव के बाद सुनिश्चित किए गए हैं, भारतीय मुनियों ने अनुशासन को अपरिहार्य माना था, कि व्यक्ति का समुचित विकास हो सके, आदेश देने वाला व्यक्ति प्राय आज्ञा दिए गए व्यक्ति का हित चाहता है, अतः अनुशासन में रहना तथा अनुशासन को अपने आचरण में डाल लेना ही अति आवश्यक है, जो लोग अनुशासनहीन होते हैं| वह शब्द एवं उदंड की संख्या से अभिहित किए जाते हैं| एवं दंड के भागी होते हैं|
3.अनुशासन के लाभ:-
अनुशासन के असीमित लाभ हैं, प्रत्येक स्तर की व्यवस्था के लिए अनुशासन आवश्यक है| राणा प्रताप, शिवाजी सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी आदि ने इसी के बल पर सफलता प्राप्त की थी| इसके बिना बहुत हानि होती है, सन् 1857 में अंग्रेजों के विरुद्ध लड़े गए स्वतंत्रता संग्राम की सफलता का कारण अनुशासनहीनता थी| 31 मई को संपूर्ण भारत में विद्रोह करने का निश्चय था, लेकिन मेरठ की सेनाओं ने 10 मई को भी विद्रोह कर दिया, जिससे अनुशासन भंग हो गया था|इसका परिणाम सारे देश को भोगना पड़ा अब सब जगह एक साथ विद्रोह ना होने के कारण संज्ञा ने विद्रोह को कुचल दिया था| राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने शांतिपूर्वक विशाल अंग्रेजी साम्राज्यबाद की नींद हिला डाली थी|उसका एकमात्र कारण अनुशासन की भावना थी, महात्मा गांधी की आवाज़ पर संपूर्ण देश सत्याग्रह के लिए चल देता था, अनेक-अनेक कष्टों को बोलते हुए भी देशवासियों ने सत्य और अहिंसा का मार्ग नहीं छोड़ा पहली बार जब कुछ सत्याग्रहियों ने पुलिस के साथ मारपीट तथा दंगा कर डाला तो महात्मा जी ने तुरंत सत्याग्रह बंद करने की आज्ञा देते हुए कहा- कि अभी देश सत्याग्रह के योग्य नहीं है| लोगों में अनुशासन की कमी है, उन्होंने तब तक उन्हें सत्याग्रह प्रारंभ नहीं किया, जब तक उन्हें लोगों के अनुशासन के बारे में विश्वास नहीं हो गया एवं अनुशासन द्वारा लोगों में विश्वास की भावना पैदा की जाती है| अनुशासन विश्वास का एक महामंत्र है|
4.छात्रानुशासन:-
अनुशासन विद्यार्थी जीवन का तो अपरिहार्य अंग है| क्योंकि विद्यार्थी देश के भावी कर्णधार होते हैं, देश का भविष्य उन्हीं पर टिका हुआ होता है, उनसे यह अपेक्षा की जाती है, कि वह स्वयं अनुशासित नियंत्रित तथा कर्तव्यपरायण होकर देश की जनता का मार्ग दर्शन करें| उसे अंधकार के दर्द से निकाल कर प्रकाश की ओर ले जय आते हैं, उनके लिए अनुशासन होना अति आवश्यक है|
5.उपसंहार:-
अनुशासन के संदर्भ में मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी का जीवन प्रेरणा दाई है| अनुशासन में होने के कारण ही राम मर्यादापुरुषोत्तम कहलाने के अधिकारी हुए अनुशासन के अधीन भी राजतिलक त्यागकर वनवासी बन जाते हैं, तथा अपनी पत्नी का परित्याग कर प्रजा की आज्ञा का पालन करते हैं| इस सब का कारण है उनका अनुशासित जीवन निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है, कि जीवन में महान बनने के लिए अनुशासन आवश्यक है| बिना अनुशासन के कुछ भी कर पाना अति असंभव है, अनुशासन से व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है, तथा समाज को शुभ दिशा मिलती है| अतः अनुशासित जीवन ही जीवन है, अनुशासित जीवन की आवाज में हमारी जिंदगी दिशाहीन एवं निरर्थक हो जाएगी, यदि जीवन में अनुशासन नहीं है| तो इस मानव जीवन का जीवित रहना भी कताई अनुशासित नही हैं, अनुशासित जीवन ही जीवन है, यदि अनुशासन नहीं है तो जीवन में कुछ भी नहीं है|
What Is Essay Of Enviornment Pollution In Hindi: पर्यावरण प्रदूषण क्या हैं? हिन्दी में सिखीये..
"पर्यावरण प्रदूषण: समस्या और निदान"
1.प्रस्तावना:-
प्रदूषण का अर्थ:-
प्रदूषण पर्यावरण में फेल कर उसे प्रदूषित बनाता है, और इसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर उल्टा पड़ता है, इसलिए हमारे आसपास की बाहरी परिस्थितियां जिनमें वायु जल भोजन और सामाजिक परिस्थितिया आती हैं, वह हमारे ऊपर अपना प्रभाव डालती है, प्रदूषण एक अवांछनीय परिवर्तन है, जो वायु जल भोजन इस साल के भौतिक रासायनिक और जैविक गुणों पर विरोधी प्रभाव डाल कर उनको मनुष्य व अन्य प्राणियों के लिए हानिकारक एवं अनुपयोगी बना डालता है, कहने का तात्पर्य यह है- कि जीव धारियों के समग्र विकास के लिए और जीवन क्रम को व्यवस्थित करने के लिए वातावरण को शुद्ध बनाए रखना परम आवश्यक है, इस शुद्ध और संतुलित वातावरण में उपयुक्त घटकों की मात्रा निश्चित होनी चाहिए अगर यह जल वायु भोजन आदि सामाजिक परिस्थितियां आपने असंतुलित रूप में होती है एवं उनके मात्रा में कमी या अधिकता होती है जिससे कि वातावरण प्रदूषित हो जाता है एवं जीव धारियों के लिए किसी ना किसी रुप में यह हानिकारक होता है, इसे ही प्रदूषण कहा जाता है|
2.प्रदूषण के विभिन्न प्रकार:-
जल प्रदूषण :-
जल के बिना कोई भी जीवधारी, पेड़, पौधे जीवित नहीं रह सकते हैं|इस जल में भिन्न-भिन्न खनिज तत्व, कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थ तथा गैसें घुली रहती हैं, जो एक विशेष अनुपात में होती है, तो यह सभी के लिए लाभकारी होती है| लेकिन जब इन की मात्रा अनुपात से अधिक हो जाती है; तो जल प्रदूषण हो जाता है और हानिकारक भी बन जाता है| जल प्रदूषण के कारण अनेक रोग पैदा करने वाले जीवाणु, वायरस औद्योगिक संस्थानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ, कार्बनिक पदार्थ, रासायनिक खाद आदि हैं| एवं जलाशय में मौजूद मछली आदि जीव मरने लगते हैं ऐसे प्रदूषित जल से टाइफाइड, पेचिस, पीलिया, मलेरिया इत्यादि अनेक रोग फैल जाते हैं| हमारे देश के अनेक शहरों को पेयजल निकटवर्ती नदियों से पहुंचाया जाता है, और उन्ही नदी में आकर शहर के गंदे नाले, कारखानों का बेकार पदार्थ, कचरा जाता है, जो पूर्ण नदियों के जल को प्रदूषित बना देता है|
ध्वनि प्रदूषण:-
प्रदूषण से मनुष्य की सुनने की शक्ति कम हो रही है, उसकी नींद बाधित हो रही है, जिससे नींद ना आने के रोग उत्पन्न हो रहे हैं| मोटर, कार, बस, ट्रैक्टर, लाउडस्पीकर बैंड बाजे और मशीनें अपनी ध्वनि से संपूर्ण पर्यावरण को प्रदूषित बना रहे हैं| इससे छोटे-छोटे कीटाणु नष्ट हो रहे हैं, और बहुत से पदार्थों का प्राप्त प्राकृतिक स्वरूप भी नष्ट हो रहा है| ध्वनि प्रदूषण के कारण कई तरह के रोग मानव जाति के घटक बनते हैं, जैसे बहरापन, ऊंचा सुनना, मानसिक तनाव, चिढ़चिढ़ापन, सिरदर्द, और गर्भवती महिलाओं को भी यह नुकसान पहुंचाता हैं|
वायु प्रदूषण:-
वायुमंडल में गैस एक निश्चित अनुपात में मिश्रित होती है, और जीव धारियों अपनी क्रियाओं तथा समाज के द्वारा आँक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का संतुलन बनाए रखते हैं| परंतु आज मनुष्य अज्ञान वर्ष आवश्यकता के नाम पर इन सभी के संतुलन को नष्ट कर रहा है| आवश्यकता दिखाकर वह वनों को काट रहा है| जिससे वातावरण में ऑआँक्सीजन कम होती जा रही, मीलों की चिमनियों में से निकलने वाली कार्बन डाई ऑक्साइड, क्लोराइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि भिन्न-भिन्न गैसें हैं, जो वातावरण में बढ़ रही है| वह विभिन्न प्रकार के प्रभाव मानव शरीर पर ही नहीं वस्त्र, धातुएं तथा इमारतों पर भी डालती है| यह प्रदूषण फेफड़ों में कैंसर, अस्थमा के रोग, हृदय संबंधी रोग, आंखों के रोग, मोहासे इत्यादि रोग फैलाते हैं|
रेडियोधर्मी प्रदूषण:-
परमाणु शक्ति उत्पादन केंद्र और परमाणु परीक्षणों से जलवायु तथा पृथ्वी का संपूर्ण पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है, और वह वर्तमान पीढ़ी को ही नहीं बल्कि भविष्य में आने वाली पीढ़ी के लिए भी हानिकारक सिद्ध हुआ है, जिससे धातुएं पिघल रही है और वह वायु में फेल कर उसके झोंकों के साथ संपूर्ण विश्व में पर्याप्त व्याप्त हो जाते हैं| तथा भिन्न भिन्न रोगों से लोगों को ग्रसित बना देती है|
रासायनिक प्रदूषण:-
आज कृषक अपनी कृषि की पैदावार बढ़ाने के लिए अनेक प्रकार के रासायनिक खादों का कीटनाशक और रोगनाशक दवाइयों का प्रयोग कर रहा है, जिससे वर्षा के समय इन खेतों से बहकर आने वाला जल नदियों समुद्रों में पहुंचकर भिन्न भिन्न जीवो के ऊपर घातक प्रभाव डाल रहा है| और उनके शारीरिक विकास पर भी इसका दुष्परिणाम दिखाई दे रहा है|
3.प्रदूषण की समस्या का समाधान:-
पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए पिछले कई वर्षों से इस देश भर में प्रयास किया जा रहा है, आज उद्योगीकरण ने इस प्रदूषण की समस्या को अति गंभीर बना दिया है| यह औद्योगिकरण तथा जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न प्रदूषण को व्यक्तिगत और शासकीय दोनों ही स्तर पर रोकने के प्रयास आवश्यक है| भारत सरकार ने सन् 1974 ईसवी में जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम लागू कर दिया था, जिसके अंतर्गत प्रदूषण को रोकने के लिए कई योजनाएं बनाई गई|
सबसे महत्वपूर्ण उपाय प्रदूषण को रोकने का है, वनों का संरक्षण साथ ही नहीं वृक्ष का रोपण तथा उनका विकास करना, जनसामान्य में वृक्षारोपण की प्रेरणा दि जानी चाहिए, इत्यादि प्रदूषण की रोकथाम में सरकारी कदम है| इस बढ़ते हुए प्रदूषण के निवारण के लिए सभी लोगों में जागृति पैदा करना भी महत्वपूर्ण कदम है| जिससे जानकारी प्राप्त कर उस प्रदूषण को दूर करने के संबंधित प्रयास किए जा सकते हैं, कई नगरों और गांव में स्वच्छता बनाए रखने के लिए सही प्रयास किए जाएं, बढ़ती हुई आबादी के निवास के लिए समुचित और सुनियोजित भवन निर्माण की योजना प्रस्तावित की जाए|
4.उपसंहार:-
इस तरह सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के द्वारा पर्यावरण की विशुध्दि के लिए समन्वित प्रयास किए जाएंगे, तब ही मानव समाज वेद वाक्य की अवधारणा को विकसित करके सभी जीव मात्र के सुख समृद्धि की कामना कर सकते हैं|
1.प्रस्तावना:-
प्रदूषण का अर्थ:-
प्रदूषण पर्यावरण में फेल कर उसे प्रदूषित बनाता है, और इसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर उल्टा पड़ता है, इसलिए हमारे आसपास की बाहरी परिस्थितियां जिनमें वायु जल भोजन और सामाजिक परिस्थितिया आती हैं, वह हमारे ऊपर अपना प्रभाव डालती है, प्रदूषण एक अवांछनीय परिवर्तन है, जो वायु जल भोजन इस साल के भौतिक रासायनिक और जैविक गुणों पर विरोधी प्रभाव डाल कर उनको मनुष्य व अन्य प्राणियों के लिए हानिकारक एवं अनुपयोगी बना डालता है, कहने का तात्पर्य यह है- कि जीव धारियों के समग्र विकास के लिए और जीवन क्रम को व्यवस्थित करने के लिए वातावरण को शुद्ध बनाए रखना परम आवश्यक है, इस शुद्ध और संतुलित वातावरण में उपयुक्त घटकों की मात्रा निश्चित होनी चाहिए अगर यह जल वायु भोजन आदि सामाजिक परिस्थितियां आपने असंतुलित रूप में होती है एवं उनके मात्रा में कमी या अधिकता होती है जिससे कि वातावरण प्रदूषित हो जाता है एवं जीव धारियों के लिए किसी ना किसी रुप में यह हानिकारक होता है, इसे ही प्रदूषण कहा जाता है|
2.प्रदूषण के विभिन्न प्रकार:-
जल प्रदूषण :-
जल के बिना कोई भी जीवधारी, पेड़, पौधे जीवित नहीं रह सकते हैं|इस जल में भिन्न-भिन्न खनिज तत्व, कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थ तथा गैसें घुली रहती हैं, जो एक विशेष अनुपात में होती है, तो यह सभी के लिए लाभकारी होती है| लेकिन जब इन की मात्रा अनुपात से अधिक हो जाती है; तो जल प्रदूषण हो जाता है और हानिकारक भी बन जाता है| जल प्रदूषण के कारण अनेक रोग पैदा करने वाले जीवाणु, वायरस औद्योगिक संस्थानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ, कार्बनिक पदार्थ, रासायनिक खाद आदि हैं| एवं जलाशय में मौजूद मछली आदि जीव मरने लगते हैं ऐसे प्रदूषित जल से टाइफाइड, पेचिस, पीलिया, मलेरिया इत्यादि अनेक रोग फैल जाते हैं| हमारे देश के अनेक शहरों को पेयजल निकटवर्ती नदियों से पहुंचाया जाता है, और उन्ही नदी में आकर शहर के गंदे नाले, कारखानों का बेकार पदार्थ, कचरा जाता है, जो पूर्ण नदियों के जल को प्रदूषित बना देता है|
ध्वनि प्रदूषण:-
प्रदूषण से मनुष्य की सुनने की शक्ति कम हो रही है, उसकी नींद बाधित हो रही है, जिससे नींद ना आने के रोग उत्पन्न हो रहे हैं| मोटर, कार, बस, ट्रैक्टर, लाउडस्पीकर बैंड बाजे और मशीनें अपनी ध्वनि से संपूर्ण पर्यावरण को प्रदूषित बना रहे हैं| इससे छोटे-छोटे कीटाणु नष्ट हो रहे हैं, और बहुत से पदार्थों का प्राप्त प्राकृतिक स्वरूप भी नष्ट हो रहा है| ध्वनि प्रदूषण के कारण कई तरह के रोग मानव जाति के घटक बनते हैं, जैसे बहरापन, ऊंचा सुनना, मानसिक तनाव, चिढ़चिढ़ापन, सिरदर्द, और गर्भवती महिलाओं को भी यह नुकसान पहुंचाता हैं|
वायु प्रदूषण:-
वायुमंडल में गैस एक निश्चित अनुपात में मिश्रित होती है, और जीव धारियों अपनी क्रियाओं तथा समाज के द्वारा आँक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का संतुलन बनाए रखते हैं| परंतु आज मनुष्य अज्ञान वर्ष आवश्यकता के नाम पर इन सभी के संतुलन को नष्ट कर रहा है| आवश्यकता दिखाकर वह वनों को काट रहा है| जिससे वातावरण में ऑआँक्सीजन कम होती जा रही, मीलों की चिमनियों में से निकलने वाली कार्बन डाई ऑक्साइड, क्लोराइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि भिन्न-भिन्न गैसें हैं, जो वातावरण में बढ़ रही है| वह विभिन्न प्रकार के प्रभाव मानव शरीर पर ही नहीं वस्त्र, धातुएं तथा इमारतों पर भी डालती है| यह प्रदूषण फेफड़ों में कैंसर, अस्थमा के रोग, हृदय संबंधी रोग, आंखों के रोग, मोहासे इत्यादि रोग फैलाते हैं|
रेडियोधर्मी प्रदूषण:-
परमाणु शक्ति उत्पादन केंद्र और परमाणु परीक्षणों से जलवायु तथा पृथ्वी का संपूर्ण पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है, और वह वर्तमान पीढ़ी को ही नहीं बल्कि भविष्य में आने वाली पीढ़ी के लिए भी हानिकारक सिद्ध हुआ है, जिससे धातुएं पिघल रही है और वह वायु में फेल कर उसके झोंकों के साथ संपूर्ण विश्व में पर्याप्त व्याप्त हो जाते हैं| तथा भिन्न भिन्न रोगों से लोगों को ग्रसित बना देती है|
रासायनिक प्रदूषण:-
आज कृषक अपनी कृषि की पैदावार बढ़ाने के लिए अनेक प्रकार के रासायनिक खादों का कीटनाशक और रोगनाशक दवाइयों का प्रयोग कर रहा है, जिससे वर्षा के समय इन खेतों से बहकर आने वाला जल नदियों समुद्रों में पहुंचकर भिन्न भिन्न जीवो के ऊपर घातक प्रभाव डाल रहा है| और उनके शारीरिक विकास पर भी इसका दुष्परिणाम दिखाई दे रहा है|
3.प्रदूषण की समस्या का समाधान:-
पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए पिछले कई वर्षों से इस देश भर में प्रयास किया जा रहा है, आज उद्योगीकरण ने इस प्रदूषण की समस्या को अति गंभीर बना दिया है| यह औद्योगिकरण तथा जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न प्रदूषण को व्यक्तिगत और शासकीय दोनों ही स्तर पर रोकने के प्रयास आवश्यक है| भारत सरकार ने सन् 1974 ईसवी में जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम लागू कर दिया था, जिसके अंतर्गत प्रदूषण को रोकने के लिए कई योजनाएं बनाई गई|
सबसे महत्वपूर्ण उपाय प्रदूषण को रोकने का है, वनों का संरक्षण साथ ही नहीं वृक्ष का रोपण तथा उनका विकास करना, जनसामान्य में वृक्षारोपण की प्रेरणा दि जानी चाहिए, इत्यादि प्रदूषण की रोकथाम में सरकारी कदम है| इस बढ़ते हुए प्रदूषण के निवारण के लिए सभी लोगों में जागृति पैदा करना भी महत्वपूर्ण कदम है| जिससे जानकारी प्राप्त कर उस प्रदूषण को दूर करने के संबंधित प्रयास किए जा सकते हैं, कई नगरों और गांव में स्वच्छता बनाए रखने के लिए सही प्रयास किए जाएं, बढ़ती हुई आबादी के निवास के लिए समुचित और सुनियोजित भवन निर्माण की योजना प्रस्तावित की जाए|
4.उपसंहार:-
इस तरह सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के द्वारा पर्यावरण की विशुध्दि के लिए समन्वित प्रयास किए जाएंगे, तब ही मानव समाज वेद वाक्य की अवधारणा को विकसित करके सभी जीव मात्र के सुख समृद्धि की कामना कर सकते हैं|
Wednesday, 6 July 2016
What Is Essay Of Corruption In Hindi:भ्रष्टाचार का निबंध क्या हैं? हिन्दी में सिखीये:
भ्रष्टाचार का निबंध
"भ्रष्टाचार आज के समाज का एक प्रमुख रोग है, आज इस रोग से लगभग पूरी दुनिया त्रस्त है, भारत भी इस रोग से अछूता नहीं है"
1.प्रस्तावना:-
भ्रष्टाचार दो शब्दों से मिलकर बना है, भ्रष्ट+आचारण़
भ्रष्ट का अर्थ है- 'बिगड़ा हुआ' और आचरण का अर्थ है- 'व्यर्थ और आचरण,' आचरण की संहिता सभी धर्मों में स्वीकार की गई है, हमारी भारतीय संस्कृति में आचरण को अत्यधिक माना गया है, वेदों, उपनिषद, गीता, और रामायण की बात छोड़ दी जाए, तो भी कबीर जैसे बिना पढ़े लिखे संत ने भी आचरण पर काफी बल दिया-
"ऊंचे कुल क्या जननियाँ, जो करणी ऊंची ना होई| सोवन कलस सुरै भरया, साधुँ विद्या सोई||"
ईशा ने कहा:-
सुई के छेद से ऊंट पार हो सकता है, लेकिन धनवान स्वर्ग नहीं जा सकता, इसका आशय यह है कि आचरण विहीन व्यक्ति स्वर्ग का अधिकारी नहीं है|
इस्लाम कहता है:-
मुस्लिम है जिसका आचरण वही है मुसलमान, इस तरह आचरण की महत्ता तो सभी ने स्वीकार की लेकिन राष्ट्र की महत्ता को किसी ने स्वीकार नहीं किया है, जो आचरण बिगड़ा हुआ हो, नीति, न्याय, धर्म और सामाजिक, नैतिक मूल्यों के विपरीत हो, शासकीय नियमों के विरुद्ध हो उसी के भ्रष्टाचार कहा जाएगा| इस तरह भ्रष्टाचार भस्मासुर की तरह है जो जीवन के हर पहलू को छू रहा है, आज हमारे देश का सारा जीवन आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक भ्रष्टाचार का पर्याय बन गया है, आज राजनीति में तो संत्री, मंत्री यहां तक की प्रधानमंत्री भी भ्रष्टाचार के दलदल में फंस चुके हैं, सारे कार्यालय, चपरासी से लेकर पदाधिकारी इस दल दल में डूब ही चुके हैं, जिस तरह देश में गरीबी और महंगाई रग-रग में समाई हुई है, उसी तरह भ्रष्टाचार भी रग-रग में समाया हुआ है|
2.भ्रष्टाचार का आरंभ:-
भ्रष्टाचार का आरंभ कब और कैसे हुआ? यह बता पाना कठिन है, परंतु भारत में इस रोग को अंग्रेजो ने सर सीमा तक पहुंचा दिया, भारत में अंग्रेजी राज स्थापित करने वाला 'क्लाइव' जब यहां आया तो बहुत साधारण व्यक्ति था| परंतु जब वह लौटकर इंग्लैंड गया, तो करोड़ों रुपए की पूंजी उसके पास थी, इंग्लैंड में किसी युवक की भारत में नियुक्ति सौभाग्य की बात समझी जाती थी और ऐसी नौकरी पाने के लिए लोग बड़ी-बड़ी रिश्वत देते थे, इसका नतीजा यह हुआ कि अंग्रेजों के जाने के बाद भी भ्रष्टाचार समाप्त नहीं हुआ|
3.भ्रष्टाचार के रूप:-
जिस तरह माया के अनेक रुप है, उसी प्रकार भ्रष्टाचार के भी अनेक रूप है, आज यह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में व्याप्त है|
जैसे कि राजनीति में घोटाले के रूप में
रिश्वत के रूप में
हर जगह चंदा लेने के रूप में
हर बक्त स्वार्थ के रूप में
अधिक लाभ कमाने के चक्कर में नकली माल बेचना
मिलावट करना और ,
चुनाव में जीतना एवं कुुर्सी हथियाना मनचाहा फैसला करना अधिकारियों का यह सभी भ्रष्टाचार की प्रीति में आते हैं,
"इसलिए कह सकते हैं कि भ्रष्टाचार में क्या-क्या होता है यह खास बात नहीं है क्या नहीं होता है यह ही खास है|"
भ्रष्टाचार के कारण हमारे देश की परंपरा है, कि हम अपने पतन की जिम्मेदारी अपने ऊपर नहीं लेते इसी प्रकार भ्रष्टाचार के कारण के पीछे हम गुलामी को मानते हैं भ्रष्टाचार के कई कारण हैं जो इस प्रकार है|
1.भ्रष्टाचार का ,मुख्य कारण है असंतोष जब किसी को कुछ अभाव होता है तो वह उसकी पूर्ति के लिए भ्रष्टाचार करता है|
2.विलासी जीवन बिताने की इच्छा के कारण भी भ्रष्टाचार पनप रहा है| सम्मान, पद, प्रतिष्ठा प्राप्त करने के कारण भी भ्रष्टाचार शिखर पर पहुंच रहा है|
3.अन्याय और निष्पक्षता के अभाव में भ्रष्टाचार का जन्म होता है|
4.सब कुछ अपने घर में भर लेने की इच्छा के कारण ही भ्रष्टाचार पनप रहा है|
"भ्रष्टाचार संपन्न लोगों में निर्धनों की तुलना में अधिक व्याप्त है|"
4.भ्रष्टाचार से हानि:-
भ्रष्टाचार से कई हानियां होती है, जो कि इस प्रकार हैं|
1.भ्रष्टाचार विकास व सुशासन का शत्रु है, जो की भ्रष्टाचार गरीबों के हक को छीनता है|
2.भ्रष्टाचार से लोगों के मन में निराशा जन्म लेती है, जिससे उनके कम करने की उर्जा खत्म होती है|
3.भ्रष्टाचार के कारण लोग नए कार्य हाथ में लेने से डरते हैं|
4.नवाचार के मार्ग में बाधा आती है, भ्रष्टाचार के कारण देश की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है, जिससे आतंकवाद की स्थिति निर्मित होती है|
5.भ्रष्टाचार के प्रभाव का परिणाम:-
किसी भी देश की समृद्धि शांति, ज्ञान, संहिता की उपयोगिता दो बातों पर निर्भर करती है- 'उत्तम साधन' और 'उत्तम चरित्र' जिन देशों के पास राष्ट्रीय चरीत्र है, वह स्वतंत्र देश हैं, हमारी सरकार इतनी योजनायें चलाती है, फिर भी हम गरीब है, क्यो?
इसका कारण है- भ्रष्टाचार मे आज ही देखा जाये तो, हमारे प्रधानमंत्री 'नरेंद्र मोदी' जी के राज्य में बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है, कि जब सरकार ₹1 एक गरीब के विकास के हित में भेजती है, तो मात्र 7 पैसे का उपयोग ही उसके हित के लिए हो पाता है, शेष धन भ्रष्टाचार चाट जाता है, यह है भ्रष्टाचार की नीति आज के समय में गरीब गरीब होता जा रहा है, और अमीर अमीर होता जा रहा है, जिसमे कोई संदेह नही है,
अगर एक मंत्री उपर वेठा गरीबों के हित के लिये काम कर रहा है तो इसका क्या फायेदा, उनके निचे तो सभी नेता, कर्मचारी भ्रस्ट से भरे हुये है, जो पहले ये सोचते है, कि इस योजना के तहत हमे कितना कमीशन वचाना है, हमे कितना profit होने वाला हैं, सोचो जहा ऐंसे नेता हो वहां कुछ न्या होगा, ऐंसी उम्मीद रखने की कोई गुनजाइस ही नही हैं|
6.भ्रष्टाचार से निपटने का रास्ता:-
भारत की राजनीति में भ्रष्टाचार फिर एक बड़ा मुद्दा बन गया है, लेकिन हैरत की बात यह है, कि किसी के पास उसका कोई ठोस इलाज नहीं दिख रहा है, भ्रष्टाचार से निपटने का सबसे पहला रास्ता यह होना चाहिए, कि हमारी शासन व्यवस्था के चार स्तंभों का वित्तीय एवं नियमित रूप से देश के सामने पेश किया जाए और यह सिस्टम है- 'विधानसभा, कार्यपालिका, न्यायपालिका और व्यवस्थापिका'; यह चारों स्तंभ अत्यंत शक्तिशाली है, इसलिए कह सकते हैं कि-
"जहां सकती है, वहां भ्रष्टाचार है"
इन सब सदस्यों की चल-अचल संपत्तियों का ब्योरा चुनाव के वक्त ही नहीं हर वर्ष सार्वजनिक किया जाना चाहिए|
"भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार बन गया है,मेरा भारत महान 100 में से 99 बेईमान -भ्रष्टाचार भारत वासियों के खून में आ गया है|"
7.उपचार:-
यदि हम चाहे की सरकार भ्रष्टाचार को दूर करे तो बात 7 साल तो क्या 7 जन्मों में भी नहीं कर सकती इस समस्या का वास्तविक उपचार आत्मचिंतन है, हम जब तक अपने कर्तव्य और दायित्व को नहीं समझते तव तक हर समस्या का कोई हल नहीं निकल सकता, नारे लगाना या भारत माता की जय बोलने से देश प्रेम प्रकट नहीं होता, यदि हम सच्चे देश प्रेमी है, देश से भ्रष्टाचार की जड़ उखाड़ना चाहते हैं, तो इसके लिए आवश्यक है कि कड़े कानून बनाए जाएं, दोषियों को कड़ी सजा दी जाए, नागरिक अपना कर्तव्य सही समय पर कर चुका है, समाज में ईमानदार और कर्तव्य परायण सेवकों को पुरस्कृत किया जाए, पर्याप्त रोजगार के अवसर गरीबों और युवाओं को प्रदान किए जाए|
8.उपसंहार:-
"भारतीय गणतंत्र घोटालों का गणतंत्र बन गया है, भ्रष्टाचार की गंगा ऊपर से नीचे की ओर बह रही है|"
भ्रष्टाचार हमारे देश की स्वतंत्रता-रुपी सीता का रावण बनकर हरण कर रहा है, जब तक शक्ति सील पराक्रम से युवा सदाचारी राम नहीं बन पनपेंगे, तब तक इसका विनाश संभव नहीं है|
यदि हम अपने इस महान राष्ट्र की प्रगति चाहते हैं, तो जीवन से भ्रष्टाचार समाप्त करना होगा| हमें दृढ़तापूर्वक भ्रष्टाचार निवारण करना होगा, सरकार को भ्रष्टाचारियों को कठोर दंड देना चाहिए, जनता को ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार करना चाहिए, तभी हमारी भारत मां का सपना साकार हो सकेगा और हम कह सकेंगें-
"भारत मां का एक एक सपना,
करना है साकार|
दिशा-दिशा में गूंज उठी,
भारत मां की जय जय कार||"
"भ्रष्टाचार आज के समाज का एक प्रमुख रोग है, आज इस रोग से लगभग पूरी दुनिया त्रस्त है, भारत भी इस रोग से अछूता नहीं है"
1.प्रस्तावना:-
भ्रष्टाचार दो शब्दों से मिलकर बना है, भ्रष्ट+आचारण़
भ्रष्ट का अर्थ है- 'बिगड़ा हुआ' और आचरण का अर्थ है- 'व्यर्थ और आचरण,' आचरण की संहिता सभी धर्मों में स्वीकार की गई है, हमारी भारतीय संस्कृति में आचरण को अत्यधिक माना गया है, वेदों, उपनिषद, गीता, और रामायण की बात छोड़ दी जाए, तो भी कबीर जैसे बिना पढ़े लिखे संत ने भी आचरण पर काफी बल दिया-
"ऊंचे कुल क्या जननियाँ, जो करणी ऊंची ना होई| सोवन कलस सुरै भरया, साधुँ विद्या सोई||"
ईशा ने कहा:-
सुई के छेद से ऊंट पार हो सकता है, लेकिन धनवान स्वर्ग नहीं जा सकता, इसका आशय यह है कि आचरण विहीन व्यक्ति स्वर्ग का अधिकारी नहीं है|
इस्लाम कहता है:-
मुस्लिम है जिसका आचरण वही है मुसलमान, इस तरह आचरण की महत्ता तो सभी ने स्वीकार की लेकिन राष्ट्र की महत्ता को किसी ने स्वीकार नहीं किया है, जो आचरण बिगड़ा हुआ हो, नीति, न्याय, धर्म और सामाजिक, नैतिक मूल्यों के विपरीत हो, शासकीय नियमों के विरुद्ध हो उसी के भ्रष्टाचार कहा जाएगा| इस तरह भ्रष्टाचार भस्मासुर की तरह है जो जीवन के हर पहलू को छू रहा है, आज हमारे देश का सारा जीवन आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक भ्रष्टाचार का पर्याय बन गया है, आज राजनीति में तो संत्री, मंत्री यहां तक की प्रधानमंत्री भी भ्रष्टाचार के दलदल में फंस चुके हैं, सारे कार्यालय, चपरासी से लेकर पदाधिकारी इस दल दल में डूब ही चुके हैं, जिस तरह देश में गरीबी और महंगाई रग-रग में समाई हुई है, उसी तरह भ्रष्टाचार भी रग-रग में समाया हुआ है|
2.भ्रष्टाचार का आरंभ:-
भ्रष्टाचार का आरंभ कब और कैसे हुआ? यह बता पाना कठिन है, परंतु भारत में इस रोग को अंग्रेजो ने सर सीमा तक पहुंचा दिया, भारत में अंग्रेजी राज स्थापित करने वाला 'क्लाइव' जब यहां आया तो बहुत साधारण व्यक्ति था| परंतु जब वह लौटकर इंग्लैंड गया, तो करोड़ों रुपए की पूंजी उसके पास थी, इंग्लैंड में किसी युवक की भारत में नियुक्ति सौभाग्य की बात समझी जाती थी और ऐसी नौकरी पाने के लिए लोग बड़ी-बड़ी रिश्वत देते थे, इसका नतीजा यह हुआ कि अंग्रेजों के जाने के बाद भी भ्रष्टाचार समाप्त नहीं हुआ|
3.भ्रष्टाचार के रूप:-
जिस तरह माया के अनेक रुप है, उसी प्रकार भ्रष्टाचार के भी अनेक रूप है, आज यह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में व्याप्त है|
जैसे कि राजनीति में घोटाले के रूप में
रिश्वत के रूप में
हर जगह चंदा लेने के रूप में
हर बक्त स्वार्थ के रूप में
अधिक लाभ कमाने के चक्कर में नकली माल बेचना
मिलावट करना और ,
चुनाव में जीतना एवं कुुर्सी हथियाना मनचाहा फैसला करना अधिकारियों का यह सभी भ्रष्टाचार की प्रीति में आते हैं,
"इसलिए कह सकते हैं कि भ्रष्टाचार में क्या-क्या होता है यह खास बात नहीं है क्या नहीं होता है यह ही खास है|"
भ्रष्टाचार के कारण हमारे देश की परंपरा है, कि हम अपने पतन की जिम्मेदारी अपने ऊपर नहीं लेते इसी प्रकार भ्रष्टाचार के कारण के पीछे हम गुलामी को मानते हैं भ्रष्टाचार के कई कारण हैं जो इस प्रकार है|
1.भ्रष्टाचार का ,मुख्य कारण है असंतोष जब किसी को कुछ अभाव होता है तो वह उसकी पूर्ति के लिए भ्रष्टाचार करता है|
2.विलासी जीवन बिताने की इच्छा के कारण भी भ्रष्टाचार पनप रहा है| सम्मान, पद, प्रतिष्ठा प्राप्त करने के कारण भी भ्रष्टाचार शिखर पर पहुंच रहा है|
3.अन्याय और निष्पक्षता के अभाव में भ्रष्टाचार का जन्म होता है|
4.सब कुछ अपने घर में भर लेने की इच्छा के कारण ही भ्रष्टाचार पनप रहा है|
"भ्रष्टाचार संपन्न लोगों में निर्धनों की तुलना में अधिक व्याप्त है|"
4.भ्रष्टाचार से हानि:-
भ्रष्टाचार से कई हानियां होती है, जो कि इस प्रकार हैं|
1.भ्रष्टाचार विकास व सुशासन का शत्रु है, जो की भ्रष्टाचार गरीबों के हक को छीनता है|
2.भ्रष्टाचार से लोगों के मन में निराशा जन्म लेती है, जिससे उनके कम करने की उर्जा खत्म होती है|
3.भ्रष्टाचार के कारण लोग नए कार्य हाथ में लेने से डरते हैं|
4.नवाचार के मार्ग में बाधा आती है, भ्रष्टाचार के कारण देश की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है, जिससे आतंकवाद की स्थिति निर्मित होती है|
5.भ्रष्टाचार के प्रभाव का परिणाम:-
किसी भी देश की समृद्धि शांति, ज्ञान, संहिता की उपयोगिता दो बातों पर निर्भर करती है- 'उत्तम साधन' और 'उत्तम चरित्र' जिन देशों के पास राष्ट्रीय चरीत्र है, वह स्वतंत्र देश हैं, हमारी सरकार इतनी योजनायें चलाती है, फिर भी हम गरीब है, क्यो?
इसका कारण है- भ्रष्टाचार मे आज ही देखा जाये तो, हमारे प्रधानमंत्री 'नरेंद्र मोदी' जी के राज्य में बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है, कि जब सरकार ₹1 एक गरीब के विकास के हित में भेजती है, तो मात्र 7 पैसे का उपयोग ही उसके हित के लिए हो पाता है, शेष धन भ्रष्टाचार चाट जाता है, यह है भ्रष्टाचार की नीति आज के समय में गरीब गरीब होता जा रहा है, और अमीर अमीर होता जा रहा है, जिसमे कोई संदेह नही है,
अगर एक मंत्री उपर वेठा गरीबों के हित के लिये काम कर रहा है तो इसका क्या फायेदा, उनके निचे तो सभी नेता, कर्मचारी भ्रस्ट से भरे हुये है, जो पहले ये सोचते है, कि इस योजना के तहत हमे कितना कमीशन वचाना है, हमे कितना profit होने वाला हैं, सोचो जहा ऐंसे नेता हो वहां कुछ न्या होगा, ऐंसी उम्मीद रखने की कोई गुनजाइस ही नही हैं|
6.भ्रष्टाचार से निपटने का रास्ता:-
भारत की राजनीति में भ्रष्टाचार फिर एक बड़ा मुद्दा बन गया है, लेकिन हैरत की बात यह है, कि किसी के पास उसका कोई ठोस इलाज नहीं दिख रहा है, भ्रष्टाचार से निपटने का सबसे पहला रास्ता यह होना चाहिए, कि हमारी शासन व्यवस्था के चार स्तंभों का वित्तीय एवं नियमित रूप से देश के सामने पेश किया जाए और यह सिस्टम है- 'विधानसभा, कार्यपालिका, न्यायपालिका और व्यवस्थापिका'; यह चारों स्तंभ अत्यंत शक्तिशाली है, इसलिए कह सकते हैं कि-
"जहां सकती है, वहां भ्रष्टाचार है"
इन सब सदस्यों की चल-अचल संपत्तियों का ब्योरा चुनाव के वक्त ही नहीं हर वर्ष सार्वजनिक किया जाना चाहिए|
"भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार बन गया है,मेरा भारत महान 100 में से 99 बेईमान -भ्रष्टाचार भारत वासियों के खून में आ गया है|"
7.उपचार:-
यदि हम चाहे की सरकार भ्रष्टाचार को दूर करे तो बात 7 साल तो क्या 7 जन्मों में भी नहीं कर सकती इस समस्या का वास्तविक उपचार आत्मचिंतन है, हम जब तक अपने कर्तव्य और दायित्व को नहीं समझते तव तक हर समस्या का कोई हल नहीं निकल सकता, नारे लगाना या भारत माता की जय बोलने से देश प्रेम प्रकट नहीं होता, यदि हम सच्चे देश प्रेमी है, देश से भ्रष्टाचार की जड़ उखाड़ना चाहते हैं, तो इसके लिए आवश्यक है कि कड़े कानून बनाए जाएं, दोषियों को कड़ी सजा दी जाए, नागरिक अपना कर्तव्य सही समय पर कर चुका है, समाज में ईमानदार और कर्तव्य परायण सेवकों को पुरस्कृत किया जाए, पर्याप्त रोजगार के अवसर गरीबों और युवाओं को प्रदान किए जाए|
8.उपसंहार:-
"भारतीय गणतंत्र घोटालों का गणतंत्र बन गया है, भ्रष्टाचार की गंगा ऊपर से नीचे की ओर बह रही है|"
भ्रष्टाचार हमारे देश की स्वतंत्रता-रुपी सीता का रावण बनकर हरण कर रहा है, जब तक शक्ति सील पराक्रम से युवा सदाचारी राम नहीं बन पनपेंगे, तब तक इसका विनाश संभव नहीं है|
यदि हम अपने इस महान राष्ट्र की प्रगति चाहते हैं, तो जीवन से भ्रष्टाचार समाप्त करना होगा| हमें दृढ़तापूर्वक भ्रष्टाचार निवारण करना होगा, सरकार को भ्रष्टाचारियों को कठोर दंड देना चाहिए, जनता को ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार करना चाहिए, तभी हमारी भारत मां का सपना साकार हो सकेगा और हम कह सकेंगें-
"भारत मां का एक एक सपना,
करना है साकार|
दिशा-दिशा में गूंज उठी,
भारत मां की जय जय कार||"
What Is Compound Microscope In Hindi:संयुक्त सूक्ष्मदर्शी क्या हैं? हिन्दी में सिखीये..
संयुक्त सूक्ष्मदर्शी(Compound microscope):-
संयुक्त सूक्ष्मदर्शी एक ही अक्षर पर दो उत्तल लेंस लगे होते हैं जो लेंस वस्तु की ओर होता है, उसे अभिदृश्यक लेंस एवं जो आंख के समीप होता है, उसे अभिनेत्र लेंस कहते हैं, अभिदृश्यक लेंस का द्वारक अभिनेत्र लेंस की अपेक्षा छोटा होता है, और नेत्रिका तथा अभिदृश्यक में जितनी ही कम फोकस दूरी के लेंस का उपयोग होता है,उसकी आवर्धन क्षमता उतनी ही अधिक होती हैं|
संयुक्त सूक्ष्मदर्शी एक ही अक्षर पर दो उत्तल लेंस लगे होते हैं जो लेंस वस्तु की ओर होता है, उसे अभिदृश्यक लेंस एवं जो आंख के समीप होता है, उसे अभिनेत्र लेंस कहते हैं, अभिदृश्यक लेंस का द्वारक अभिनेत्र लेंस की अपेक्षा छोटा होता है, और नेत्रिका तथा अभिदृश्यक में जितनी ही कम फोकस दूरी के लेंस का उपयोग होता है,उसकी आवर्धन क्षमता उतनी ही अधिक होती हैं|
What Is Viscous Force in hindi:श्यान बल क्या हैं? हिन्दी में सिखीये..
श्यान बल(Viscous Force):-
किसी द्रव या गैस की दो क्रमागत परतों के बीच उनकी आपेक्षिक गति का विरोध करने वाले घर्षण बल को ही श्यान बल कहते हैं,
श्यानता(Viscosity):-
तरल का वह गुण जिसके कारण तरल की विभिन्न परतो के मध्य आपेक्षिक गति का विरोध होता है, श्यानता कहलाती है|
गुण:-
1.श्यानता केवल द्रव तथा गैसों का ही गुण है|
2.द्रवों में समानता अणुओं के मध्य लगने वाले संसंगक बलों के कारण होती है|
3.गैसों में श्यानता इसकी एक परत से दूसरी परत में अणुओं के स्थानांतरण के कारण होती है|
4.एक आदर्श तरल की श्यानता शून्य होती है|
5.ताप बढ़ने पर द्रवों की श्यानता घट जाती है, परंतु गैसों की श्यानता बढ़ जाती है|
किसी द्रव या गैस की दो क्रमागत परतों के बीच उनकी आपेक्षिक गति का विरोध करने वाले घर्षण बल को ही श्यान बल कहते हैं,
श्यानता(Viscosity):-
तरल का वह गुण जिसके कारण तरल की विभिन्न परतो के मध्य आपेक्षिक गति का विरोध होता है, श्यानता कहलाती है|
गुण:-
1.श्यानता केवल द्रव तथा गैसों का ही गुण है|
2.द्रवों में समानता अणुओं के मध्य लगने वाले संसंगक बलों के कारण होती है|
3.गैसों में श्यानता इसकी एक परत से दूसरी परत में अणुओं के स्थानांतरण के कारण होती है|
4.एक आदर्श तरल की श्यानता शून्य होती है|
5.ताप बढ़ने पर द्रवों की श्यानता घट जाती है, परंतु गैसों की श्यानता बढ़ जाती है|
Tuesday, 5 July 2016
What Is Satellite In Hindi:(सेटेलाइट क्याहैं? हिन्दी में सीखिये.
उपग्रह( Satellite):-
किसी ग्रह के चारों ओर परिक्रमा करने वाले पिडं को उस ग्रह का उपग्रह कहते हैं|
उदाहरण के लिए जैसे चंद्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह है|
उपग्रह की कक्षीय चाल( Orbital Speed of Satellite):-
1.उपग्रह की कक्षा चाल उसकी पृथ्वी तल से ऊंचाई पर निर्भर करती है, उपग्रह पृथ्वी तल से जितना अधिक दूर होता है, उतनी ही उसकी चाल कम होती है,
2.उपग्रह की कक्षा चाल उसके द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करती है, एक ही कक्षा में भिन्न-भिन्न द्रव्यमानों के उपग्रहों की चाल समान होती है|
उपग्रह का परिक्रमण काल( Period Of Revolution Of A Satellite):-
उपग्रह अपनी कक्षा में पृथ्वी का एक चक्कर जितने समय में लगाता है, उसे उसका परिक्रमण काल कहते हैं|
परिक्रमण काल = कक्षा की परिधि/कक्षीय चाल
1.उपग्रह का परिक्रमण काल केवल उसकी पृथ्वी तल से ऊंचाई पर निर्भर करता है, एवं उपग्रह जितना अधिक दूर होता है, उतना ही अधिक उसका परिक्रमण काल होता है|
2.उपग्रह का परिक्रमण काल उसके द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है|
भू स्थाई उपग्रह(Geo-Stationary Satellite):-
ऐसा उपग्रह जो पृथ्वी के अक्ष के लंबवत् तल में पश्चिम से पूर्व की ओर पृथ्वी की परिक्रमा करता है, एवं जिसका परिक्रमण काल पृथ्वी के परिक्रमण काल (24 घंटे) के बराबर होता है, इसे ही भू स्थाई उपग्रह कहते हैं|यह उपग्रह पृथ्वी तल से लगभग 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर रहकर पृथ्वी का परिक्रमण करता है भू तुल्यकालिक कक्षा में संचार उपग्रह स्थापित करने की संभावना सबसे पहले "आर्थर थी| क्लार्क" ने व्यक्त की थी
किसी ग्रह के चारों ओर परिक्रमा करने वाले पिडं को उस ग्रह का उपग्रह कहते हैं|
उदाहरण के लिए जैसे चंद्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह है|
उपग्रह की कक्षीय चाल( Orbital Speed of Satellite):-
1.उपग्रह की कक्षा चाल उसकी पृथ्वी तल से ऊंचाई पर निर्भर करती है, उपग्रह पृथ्वी तल से जितना अधिक दूर होता है, उतनी ही उसकी चाल कम होती है,
2.उपग्रह की कक्षा चाल उसके द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करती है, एक ही कक्षा में भिन्न-भिन्न द्रव्यमानों के उपग्रहों की चाल समान होती है|
उपग्रह का परिक्रमण काल( Period Of Revolution Of A Satellite):-
उपग्रह अपनी कक्षा में पृथ्वी का एक चक्कर जितने समय में लगाता है, उसे उसका परिक्रमण काल कहते हैं|
परिक्रमण काल = कक्षा की परिधि/कक्षीय चाल
1.उपग्रह का परिक्रमण काल केवल उसकी पृथ्वी तल से ऊंचाई पर निर्भर करता है, एवं उपग्रह जितना अधिक दूर होता है, उतना ही अधिक उसका परिक्रमण काल होता है|
2.उपग्रह का परिक्रमण काल उसके द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है|
भू स्थाई उपग्रह(Geo-Stationary Satellite):-
ऐसा उपग्रह जो पृथ्वी के अक्ष के लंबवत् तल में पश्चिम से पूर्व की ओर पृथ्वी की परिक्रमा करता है, एवं जिसका परिक्रमण काल पृथ्वी के परिक्रमण काल (24 घंटे) के बराबर होता है, इसे ही भू स्थाई उपग्रह कहते हैं|यह उपग्रह पृथ्वी तल से लगभग 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर रहकर पृथ्वी का परिक्रमण करता है भू तुल्यकालिक कक्षा में संचार उपग्रह स्थापित करने की संभावना सबसे पहले "आर्थर थी| क्लार्क" ने व्यक्त की थी
What is Simple Machines In Hindi(सरल मशीन क्या है ? हिन्दी मे सिखीये..
सरल मशीन( Simple Machines):-
सरल मशीन बल आघूर्ण के सिद्धांत पर कार्य करती है, जब सरल मशीन एक ऐसी युक्ति है, जिसमे किसी सुविधाजनक बिंदु पर बल लगाकर या किसी अन्य बिंदु पर रखे हुए भार को उठाया जाता है इसे ही हम सरल मशीन कहते हैं|
उदाहरण के लिए जैंसे- उत्तोलक, घिरनी, आनत तल, और स्क्रू जैक आदि|
उत्तोलक(Lever):-
उत्तोलक एक सीधी या टेढ़ी द्रढ़ छड़ होती है, जो किसी निश्चित बिंदु के चारों ओर स्वतंत्रता पूर्वक घूम सकती है, इसे ही उत्तोलक कहते हैं|
उत्तोलक तीन प्रकार का होता हैं,
जैसे- 1.आंलब( Fulcrum)
2.आयास(Effort)
3.भार(Load)
1.-आंलब:-
जिस निश्चित बिंदु के चारों ओर उत्तोलक की छड़ स्वतंत्रता पूर्वक घूम सकती है, उसे आलब कहते हैं|
2.-आयास:-
उत्तोलक को उपयोग में लाने के लिए उस पर जो बल लगाया जाता है, उसे ही हम आयास कहते हैं|
3.-भार:-
उत्तोलक के द्वारा जो बोझ उठाया जाता है, एवं जो रुकावट हटाई जाती है, उसे ही हम भार कहते हैं|
सरल मशीन बल आघूर्ण के सिद्धांत पर कार्य करती है, जब सरल मशीन एक ऐसी युक्ति है, जिसमे किसी सुविधाजनक बिंदु पर बल लगाकर या किसी अन्य बिंदु पर रखे हुए भार को उठाया जाता है इसे ही हम सरल मशीन कहते हैं|
उदाहरण के लिए जैंसे- उत्तोलक, घिरनी, आनत तल, और स्क्रू जैक आदि|
उत्तोलक(Lever):-
उत्तोलक एक सीधी या टेढ़ी द्रढ़ छड़ होती है, जो किसी निश्चित बिंदु के चारों ओर स्वतंत्रता पूर्वक घूम सकती है, इसे ही उत्तोलक कहते हैं|
उत्तोलक तीन प्रकार का होता हैं,
जैसे- 1.आंलब( Fulcrum)
2.आयास(Effort)
3.भार(Load)
1.-आंलब:-
जिस निश्चित बिंदु के चारों ओर उत्तोलक की छड़ स्वतंत्रता पूर्वक घूम सकती है, उसे आलब कहते हैं|
2.-आयास:-
उत्तोलक को उपयोग में लाने के लिए उस पर जो बल लगाया जाता है, उसे ही हम आयास कहते हैं|
3.-भार:-
उत्तोलक के द्वारा जो बोझ उठाया जाता है, एवं जो रुकावट हटाई जाती है, उसे ही हम भार कहते हैं|
What is Centripetal Force In Hindi:अभिकेंद्रीय बल क्या हैं? हिन्दी मे सीखिये...
अभिकेंद्रीय बल(Centripetal Force):-
अभिकेंद्रीय बल जब कोई वस्तु किसी वृत्ताकार मार्ग पर चलती है, तो उस पर एक बल-वृत्त के केंद्र की ओर कार्य करता है, तब इसी बल को ही अभिकेंद्रीय बल कहते हैं, इस बल के अभाव में वस्तु वृत्ताकार मार्ग पर नहीं चल सकती है, यदि कोई m द्रव्यमान का पिंड u चाल से r त्रिज्या के व्रत्तीय मार्ग पर चल रहा है, तो उस पर कार्यकारी वृत्त के केंद्र की ओर आवश्यक अभिकेंद्रीय बल होता है|
सूत्र के माध्यम से-
F = mu2/r
अभिकेंद्रीय बल जब कोई वस्तु किसी वृत्ताकार मार्ग पर चलती है, तो उस पर एक बल-वृत्त के केंद्र की ओर कार्य करता है, तब इसी बल को ही अभिकेंद्रीय बल कहते हैं, इस बल के अभाव में वस्तु वृत्ताकार मार्ग पर नहीं चल सकती है, यदि कोई m द्रव्यमान का पिंड u चाल से r त्रिज्या के व्रत्तीय मार्ग पर चल रहा है, तो उस पर कार्यकारी वृत्त के केंद्र की ओर आवश्यक अभिकेंद्रीय बल होता है|
सूत्र के माध्यम से-
F = mu2/r
What is impulse in hindi?: आवेग क्या हैं? हिन्दी मे सिखीये...
आवेग(Impulse):-
जब कोई बड़ा बल किसी वस्तु पर थोड़े समय के लिए कार्य करता है तो बल एवं समय अंतराल के गुणनफल को उस बल का आवेग कहते हैं|
सुत्र के माध्यम से-
आवेग = बल×समय अंतराल = संवेग में परिवर्तन
आवेग एक सदिश राशि हैं, इसका मात्रक न्यूटन सेकंड (Ns) है एवं इसकी दिशा उसी तरफ होती है, जिस तरफ बल की दिशा होती है|
जब कोई बड़ा बल किसी वस्तु पर थोड़े समय के लिए कार्य करता है तो बल एवं समय अंतराल के गुणनफल को उस बल का आवेग कहते हैं|
सुत्र के माध्यम से-
आवेग = बल×समय अंतराल = संवेग में परिवर्तन
आवेग एक सदिश राशि हैं, इसका मात्रक न्यूटन सेकंड (Ns) है एवं इसकी दिशा उसी तरफ होती है, जिस तरफ बल की दिशा होती है|
Saturday, 2 July 2016
Top News Of Terrorism in hindi today 03/07/2016
बांग्लादेशियों की घुसपैठ का प्रयास विफल:-
बीएसएफ में त्रिपुरा के चंपाहाओर इलाके में भारतीय सीमा में प्रवेश कर रहे करीब 300 बांग्लादेशी नागरिकों के प्रयास को विफल कर दिया है बाद में उन्हें वापस पड़ोसी देश में भेज दिया गया है यह सूचना SP उत्तम भौमिक ने दी है!
दिल्ली में घुसे आतंकी हाई अलर्ट जारी:-
पुलिस अधिकारियों से पता चला है कि कुछ दिन पहले कश्मीर में सेना और आतंकियों के बीच हुए मुठभेड़ के दौरान दो आतंकी swift कार से फरार हो गए थे बताया जा रहा है कि कार में विस्फोटक बा गोला-बारूद भरा है दिल्ली में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है और सभी थाना अधिकारियों को अपने अपने क्षेत्र में सिल्वर रंग की swift कार की जांच करने को कहा गया है!
नक्सलियों ने भाजपा नेता की हत्या की:-
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों ने एक भाजपा नेता व उपसरपंच को गोली मारकर हत्या कर दी हत्या के बाद नक्सलियों ने उसके परिजनों और गांव वालों को धमकी दी है कि जो भी पुलिस की नौकरी व सहयोग करेगा उसका यही हश्र होगा इन नक्सलियों की धमकी से पिछले सप्ताह सतरा भाजपा के नेताओं ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है!
सीरिया के हवाई हमले में 25 बच्चों की मौत:-
अलकुरिया के भीड़ वाले क्षेत्रों में दोपहर की नमाज के समय 3 हवाई हमले किए गए जिसमें 25 बच्चों की मौत हो गई है स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने बच्चों के सब को निकाला और यूनिसेफ ने इन हमलों की निंदा की है!
10 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण:-
बस्तर Asp ने बताया है कि छत्तीसगढ़ के बस्तर में सोमवार को एक लाख इनामी नक्सली जिसमें 8 महिला एवं दो पुरुष नक्सलियों ने पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया है यह नक्सली आंध्र प्रदेश के नक्सली कमांडर द्वारा छत्तीसगढ़ के आदिवासी सदस्यों के साथ बढ़ते जा रहे भेदभाव से परेशान होकर बने थे!
आतंकियों के निशाने पर है अमरनाथ यात्रा:-
भारतीय सेना ने आगामी अमरनाथ यात्रा को आतंकियों द्वारा निशाना बनाए जाने की साजिश का खुलासा किया है इस माहौल को देखते हुए अलर्ट जारी कर दिया गया है आतंकियों ने यात्रा के दौरान सुरक्षा बलों को निशाना बनाने की चेतावनी भी दी है हमारी सरकार ने यात्रा के दौरान दोनों रूटों पहलगाम और बालटाल पर सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी है
नक्सलियों ने छह लोगों को उतारा मौत के घाट:-
झारखंड में रांची के फुडगां गांव में नक्सलियों ने बीती रात मे लोगों की हत्या कर दी जिस मे बताया है कि नक्सलि उन सभी लोगों को गांव से बाहर ले गए और वडी बेहरमी सेसभी की हत्या कर दी, सभी मृतकों के सब बरामद कर लिए हैं माना जा रहा है कि लिबरेशन फ्रंट के उग्रवादियों ने इस घटना को अंजाम दिया है पुलिस इस मामले की छानबीन में लगी हुई है!
पाकिस्तान में 4 पुलिसकर्मियों की हत्या:-
पाकिस्तान के क्वेटा में संदिग्ध आतंकवादियों ने चार पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी पहला हमला केंची वेग इलाके में हुआ जहां आतंकियों ने दो पुलिसकर्मियों की हत्या गोली मारकर की, और दूसरा हमला हजार गंजी इलाके में हुआ जहां पुलिस की कार पर निशाना बना कर हमला किया और हमले के बाद आतंकी फरार हो गए पुलिस की जांच जारी है!
इस्तांवुल हमले में बाल-बाल बचे ऋतिक रोशन:-
तुर्की के इस्तावुल एयरपोर्ट पर हुए आतंकी हमले में ऐक्टर रितिक रोशन बाल बाल बच गए हैं हमले के कुछ देर पहले ऋतिक रोशन एयरपोर्ट पर ही थे और उनके बाद वहां से निकलते ही धमाके हुए ऋतिक रोशन छुट्टियां बिताकर इस्तांबुल एयरपोर्ट से बाहर भारत के लिए फ्लाइट पकड़ने पहुंचे थे यह जानकारी रितिक रोशन ने खुद ट्विटर पर दी है इस हमले में 36 लोग मारे गए हैं और सैंकड़ों लोग घायल हो चुके हैं!
अमेरिकी सेना ने मार गिराया 250 आतंकवादी:-
इराक के फालुजा शहर में अमेरिकी सेना द्वारा किए गए हमले में आईएस के 250 आतंकवादी मारे गए एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि इस हमले में आतंकियों के लगभग 40 बाहन को नष्ट भी कर दिया गया है माना जा रहा है कि यह हमला आतंकी के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा घातक साबित हुआ है धन्यवाद
बीएसएफ में त्रिपुरा के चंपाहाओर इलाके में भारतीय सीमा में प्रवेश कर रहे करीब 300 बांग्लादेशी नागरिकों के प्रयास को विफल कर दिया है बाद में उन्हें वापस पड़ोसी देश में भेज दिया गया है यह सूचना SP उत्तम भौमिक ने दी है!
दिल्ली में घुसे आतंकी हाई अलर्ट जारी:-
पुलिस अधिकारियों से पता चला है कि कुछ दिन पहले कश्मीर में सेना और आतंकियों के बीच हुए मुठभेड़ के दौरान दो आतंकी swift कार से फरार हो गए थे बताया जा रहा है कि कार में विस्फोटक बा गोला-बारूद भरा है दिल्ली में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है और सभी थाना अधिकारियों को अपने अपने क्षेत्र में सिल्वर रंग की swift कार की जांच करने को कहा गया है!
नक्सलियों ने भाजपा नेता की हत्या की:-
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों ने एक भाजपा नेता व उपसरपंच को गोली मारकर हत्या कर दी हत्या के बाद नक्सलियों ने उसके परिजनों और गांव वालों को धमकी दी है कि जो भी पुलिस की नौकरी व सहयोग करेगा उसका यही हश्र होगा इन नक्सलियों की धमकी से पिछले सप्ताह सतरा भाजपा के नेताओं ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है!
सीरिया के हवाई हमले में 25 बच्चों की मौत:-
अलकुरिया के भीड़ वाले क्षेत्रों में दोपहर की नमाज के समय 3 हवाई हमले किए गए जिसमें 25 बच्चों की मौत हो गई है स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने बच्चों के सब को निकाला और यूनिसेफ ने इन हमलों की निंदा की है!
10 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण:-
बस्तर Asp ने बताया है कि छत्तीसगढ़ के बस्तर में सोमवार को एक लाख इनामी नक्सली जिसमें 8 महिला एवं दो पुरुष नक्सलियों ने पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया है यह नक्सली आंध्र प्रदेश के नक्सली कमांडर द्वारा छत्तीसगढ़ के आदिवासी सदस्यों के साथ बढ़ते जा रहे भेदभाव से परेशान होकर बने थे!
आतंकियों के निशाने पर है अमरनाथ यात्रा:-
भारतीय सेना ने आगामी अमरनाथ यात्रा को आतंकियों द्वारा निशाना बनाए जाने की साजिश का खुलासा किया है इस माहौल को देखते हुए अलर्ट जारी कर दिया गया है आतंकियों ने यात्रा के दौरान सुरक्षा बलों को निशाना बनाने की चेतावनी भी दी है हमारी सरकार ने यात्रा के दौरान दोनों रूटों पहलगाम और बालटाल पर सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी है
नक्सलियों ने छह लोगों को उतारा मौत के घाट:-
झारखंड में रांची के फुडगां गांव में नक्सलियों ने बीती रात मे लोगों की हत्या कर दी जिस मे बताया है कि नक्सलि उन सभी लोगों को गांव से बाहर ले गए और वडी बेहरमी सेसभी की हत्या कर दी, सभी मृतकों के सब बरामद कर लिए हैं माना जा रहा है कि लिबरेशन फ्रंट के उग्रवादियों ने इस घटना को अंजाम दिया है पुलिस इस मामले की छानबीन में लगी हुई है!
पाकिस्तान में 4 पुलिसकर्मियों की हत्या:-
पाकिस्तान के क्वेटा में संदिग्ध आतंकवादियों ने चार पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी पहला हमला केंची वेग इलाके में हुआ जहां आतंकियों ने दो पुलिसकर्मियों की हत्या गोली मारकर की, और दूसरा हमला हजार गंजी इलाके में हुआ जहां पुलिस की कार पर निशाना बना कर हमला किया और हमले के बाद आतंकी फरार हो गए पुलिस की जांच जारी है!
इस्तांवुल हमले में बाल-बाल बचे ऋतिक रोशन:-
तुर्की के इस्तावुल एयरपोर्ट पर हुए आतंकी हमले में ऐक्टर रितिक रोशन बाल बाल बच गए हैं हमले के कुछ देर पहले ऋतिक रोशन एयरपोर्ट पर ही थे और उनके बाद वहां से निकलते ही धमाके हुए ऋतिक रोशन छुट्टियां बिताकर इस्तांबुल एयरपोर्ट से बाहर भारत के लिए फ्लाइट पकड़ने पहुंचे थे यह जानकारी रितिक रोशन ने खुद ट्विटर पर दी है इस हमले में 36 लोग मारे गए हैं और सैंकड़ों लोग घायल हो चुके हैं!
अमेरिकी सेना ने मार गिराया 250 आतंकवादी:-
इराक के फालुजा शहर में अमेरिकी सेना द्वारा किए गए हमले में आईएस के 250 आतंकवादी मारे गए एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि इस हमले में आतंकियों के लगभग 40 बाहन को नष्ट भी कर दिया गया है माना जा रहा है कि यह हमला आतंकी के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा घातक साबित हुआ है धन्यवाद
Top news of rain in hindi today 02/07/2016
गंगा में डूब रहे 6 लोग बचाए गए दो लापता है दोस्तों यूपी के फारुखाबाद मैं गंगा नहाने गए आठ युवक अचानक गहरे पानी में जाने से डूबने लगे जिनमें से 6 को बचा लिया गया है जबकि दो युवकों की तलाश जारी है सुरक्षाकर्मी उन दो युवकों को काफी समय से ढूंढ रहे हैं उनका अभी तक कोई पता नहीं लग पाया है छह में से एक युवक की हालत गंभीर बताई जा रही है सभी को पास की लोहिया अस्पताल में एडमिट कर दिया गया है इन युवकों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाने वाले दो लोग हैं यह पास ही में नाव चला रहे थे जिनके नाम है उमेश सिंह और सलीब भाई आगे की न्यूज़ यह है उत्तराखंड के चमोली में बादल फटने से 30 लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोगों के लापता होने की जानकारी मिली है जिनके परिवार वाले बहुत ही परेशान है वही 70 मवेशी दब गए हैं और 33 गौशालाएं ध्वस्त हो गई है एक बड़े पैमाने पर कृषि भूमि तबाह हो चुकी है वहीं अलकनंदा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर आ चुका है सुनने में आया है कि पिथौरागढ़ में भी कई जगह बादल फटे हैं और ऋषिकेश बद्रीनाथ का हाइवे बंद हो चुका है यहां सुबह से भारी बारिश हो रही है mp में हो रही झमाझम बारिश के कारण कई नदियों का जलस्तर बढ़ गया है खरगोन जिले में भी बंधानी नदी का जलस्तर काफी ऊपर बढ़ चुका है पानी पुल के ऊपर बहने भी लगा है गोवा की बात करें तो मुसलाधार बारिश से जहाज डूब चुका है गोवा के वास्को में मूसलाधार बारिश की वजह से मोरमुगाओं र्पोट ट्रस्ट के पास खड़ा एक जहाज समुद्र में डूब गया है इससे पहले यह जहाज पानी के जाने के पहले खतरनाक ढंग से एक और झुक गया था भारतीय तटरक्षक और पुलिस के कई जवान इसे बचाने में लग गई थी बताया जा रहा है कि यह जहाज सहारा इंडिया का था जो कि ट्रिनिटी लेजर को दिया गया था उड़ीसा के तटीय क्षेत्रों में कल बारिश हुई मछुआरों को दक्षिणी ओड़िशा के निकट समुद्र में जाने पर सावधान रहने की सलाह दी गई है उधर तेलंगाना के कई हिस्सों में पिछले 24 घंटों में गरज के साथ भारी बारिश हुई है हिमाचल प्रदेश में निचले पर्वतीय इलाकों में मानसून सक्रिय है राज्य में कल भारी बारिश हुई और दिल्ली में बारिश के बाद तापमान में कमी आई है छत्तीसगढ़ के रायपुर में आकाशीय बिजली गिरने से 4 लोगों की मौत हो गई है यह घटना बहुधा बाजार के शुक्ली गांव की है यह 6 लोग खेत में खड़े थे जिनमें दो लोग बज चुके हैं जिनको अस्पताल एडमिट करा दिया गया है और 4 लोगों की तुरंत मौत हो चुकी है यह थी आज की न्यूज़ धन्यवाद
Friday, 1 July 2016
Motivational story and haribansraye bachhan ji ki beautiful story
हरिवंशराय बच्चनजी की सुन्दर कविता जो दिलो को छुकर दिलो पर राज करती हैं और कई यादे हैं जो ताजा करती हैं.........
अगर बिकी तेरी दोस्ती...
तो पहले ख़रीददार हम होंगे..!
तुझे ख़बर न होगी तेरी क़ीमत ..
पर तुझे पाकर सबसे अमीर हम होंगे..!!
दोस्त साथ हो तो रोने में भी शान है..
दोस्त ना हो तो महफिल भी शमशान है!
सारा खेल दोस्ती का है ऐ मेरे दोस्त,
वरना जनाजा और बारात एक ही समान है !! ...
अगर बिकी तेरी दोस्ती...
तो पहले ख़रीददार हम होंगे..!
तुझे ख़बर न होगी तेरी क़ीमत ..
पर तुझे पाकर सबसे अमीर हम होंगे..!!
दोस्त साथ हो तो रोने में भी शान है..
दोस्त ना हो तो महफिल भी शमशान है!
सारा खेल दोस्ती का है ऐ मेरे दोस्त,
वरना जनाजा और बारात एक ही समान है !! ...
Good faimly and love in faimly प्यार और विशवास पे दुनीया कायम और प्यार क्या हैं, ये देखीये
प्यार वो हैं..
मां रात को आती है, और कहती हैं..
"सो जा, बाकी सुबह उठ कर पढ़ लेना"
प्यार वो हैं ...
जब हम tution से वापस आये और पापा कहे-
"बेटा लेट होने वाले थे तो कॉल कर देते"
प्यार वो है....
जब भाभी कहती हैं -"ओये हीरो;
लड़की पटी की नही"
प्यार वो हैं....
जब बहन कहती हैं-
"देखूंगी मेरी शादी के बाद तेरा काम कौन करेगा
"प्यार वो हैं....
जब हम निराश हो और भाई आकर कहे-
"चल नौटंकी कही घुमने चलते हैं"
प्यार वो है...
जब दोस्त कॉल करके कहे-
ओये कमीने जिन्दा हैं या मर गया"
यह है सच्चा प्यार।
इसे अपने जीवन मैं बिलकुल भी ना गवाएं..
प्यार केवल गर्ल फ्रेंड या बॉय फ्रेंड होना ही नही हैं।
यह प्यार उससे भी ऊपर हैं।
[वक़्त अच्छा ज़रूर आता है;
मगर वक़्त पर ही आता है!
कागज अपनी किस्मत से उड़ता है; लेकिन पतंग अपनी काबिलियतसे!
इसलिए किस्मत साथ दे या न दे;
काबिलियत जरुर साथ देती है!
दो अक्षर का होता है लक;
ढाई अक्षर का होता है भाग्य;
तीन अक्षर का होता है नसीब;
साढ़े तीन अक्षर की होती है किस्मत;
पर ये चारों के चारों चार अक्षर, मेहनत से छोटे होते हैं!.......
जिंदगी में दो लोगों का ख्याल रखना बहुत जरुरी है!
पिता: जिसने तुम्हारी जीत के लिए सब कुछ हारा हो!
माँ: जिसको तुमने हर दुःख में पुकारा हो!
काम करो ऐसा कि पहचान बन जाये;
हर कदम चलो ऐसे कि निशान बन जायें;
यह जिंदगी तो सब काट लेते हैं;
जिंदगी ऐसे जियो कि मिसाल बन जाये!
भगवान की भक्ति करने से शायद हमें माँ न मिले;
लेकिन माँ की भक्ति करने से भगवान् अवश्य मिलेंगे!
अहंकार में तीन गए;
धन, वैभव और वंश!
ना मानो तो देख लो;
रावन, कौरव और कंस!.
'इंसान' एक दुकान है, और 'जुबान' उसका ताला;
जब ताला खुलता है, तभी मालुम पड़ता है;
कि दूकान 'सोने' कि है, या 'कोयले
एक दिन मैं कॉलेज से घर आने के
लिये निकला आसमान में बादल थे...
लग रहा था कि बारिश होने वाली थी...
इसलिए सोचा कि घर जल्दी पहुँच जाऊँ पर रास्ते में
ही बारिश शुरू हो गई और मैं भीग गया...!!!
घर जाते ही बड़ी बहन ने कहा -: "थोड़ी देर
नही सकते थे...??"
.
बड़े भाई ने कहा -: "कहीं साइड में खड़े
हो जाते ...??"
.
पापा ने कहा -: "खड़े कैसे हो जाते..!! जनाब
को बारिश में भीगने का शौक जो है..??"
.
.
.
इतने में मम्मी आई और सिर पर टॉवेल रखते हुऐ
बोली -: "ये बारिश भी ना... थोड़ी देर रुक
जाती तो मेरा बेटा घर आ जाता...!!!" ये होता है अपनो का प्यार जो कभी खत्म नही होता हैं और जहां एेंसा प्यार हो उसे कभी खोना नही चाईये क्योंकी अपनो का प्यार वडी मुशकिल से मिलता हैं.....
प्यार वो हैं..
मां रात को आती है, और कहती हैं..
"सो जा, बाकी सुबह उठ कर पढ़ लेना"
प्यार वो हैं ...
जब हम tution से वापस आये और पापा कहे-
"बेटा लेट होने वाले थे तो कॉल कर देते"
प्यार वो है....
जब भाभी कहती हैं -"ओये हीरो;
लड़की पटी की नही"
प्यार वो हैं....
जब बहन कहती हैं-
"देखूंगी मेरी शादी के बाद तेरा काम कौन करेगा
"प्यार वो हैं....
जब हम निराश हो और भाई आकर कहे-
"चल नौटंकी कही घुमने चलते हैं"
प्यार वो है...
जब दोस्त कॉल करके कहे-
ओये कमीने जिन्दा हैं या मर गया"
यह है सच्चा प्यार।
इसे अपने जीवन मैं बिलकुल भी ना गवाएं..
प्यार केवल गर्ल फ्रेंड या बॉय फ्रेंड होना ही नही हैं।
यह प्यार उससे भी ऊपर हैं।
[वक़्त अच्छा ज़रूर आता है;
मगर वक़्त पर ही आता है!
कागज अपनी किस्मत से उड़ता है; लेकिन पतंग अपनी काबिलियतसे!
इसलिए किस्मत साथ दे या न दे;
काबिलियत जरुर साथ देती है!
दो अक्षर का होता है लक;
ढाई अक्षर का होता है भाग्य;
तीन अक्षर का होता है नसीब;
साढ़े तीन अक्षर की होती है किस्मत;
पर ये चारों के चारों चार अक्षर, मेहनत से छोटे होते हैं!.......
जिंदगी में दो लोगों का ख्याल रखना बहुत जरुरी है!
पिता: जिसने तुम्हारी जीत के लिए सब कुछ हारा हो!
माँ: जिसको तुमने हर दुःख में पुकारा हो!
काम करो ऐसा कि पहचान बन जाये;
हर कदम चलो ऐसे कि निशान बन जायें;
यह जिंदगी तो सब काट लेते हैं;
जिंदगी ऐसे जियो कि मिसाल बन जाये!
भगवान की भक्ति करने से शायद हमें माँ न मिले;
लेकिन माँ की भक्ति करने से भगवान् अवश्य मिलेंगे!
अहंकार में तीन गए;
धन, वैभव और वंश!
ना मानो तो देख लो;
रावन, कौरव और कंस!.
'इंसान' एक दुकान है, और 'जुबान' उसका ताला;
जब ताला खुलता है, तभी मालुम पड़ता है;
कि दूकान 'सोने' कि है, या 'कोयले
एक दिन मैं कॉलेज से घर आने के
लिये निकला आसमान में बादल थे...
लग रहा था कि बारिश होने वाली थी...
इसलिए सोचा कि घर जल्दी पहुँच जाऊँ पर रास्ते में
ही बारिश शुरू हो गई और मैं भीग गया...!!!
घर जाते ही बड़ी बहन ने कहा -: "थोड़ी देर
नही सकते थे...??"
.
बड़े भाई ने कहा -: "कहीं साइड में खड़े
हो जाते ...??"
.
पापा ने कहा -: "खड़े कैसे हो जाते..!! जनाब
को बारिश में भीगने का शौक जो है..??"
.
.
.
इतने में मम्मी आई और सिर पर टॉवेल रखते हुऐ
बोली -: "ये बारिश भी ना... थोड़ी देर रुक
जाती तो मेरा बेटा घर आ जाता...!!!" ये होता है अपनो का प्यार जो कभी खत्म नही होता हैं और जहां एेंसा प्यार हो उसे कभी खोना नही चाईये क्योंकी अपनो का प्यार वडी मुशकिल से मिलता हैं.....